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हम भारतीय बहुत दिनों से उन नेताओं का भाषण और वादा देखते आये जो हमें कभी ज़ात पात को मुद्दा बना कर बहलाते हैं तो कभी मंदिर मस्जिद का मुद्दा बना कर मगर दोनों में से किसी मुद्दे में जान नहीं होता कियुनके इनका मकसद सिर्फ ये होता है के हम कुर्सी तक पहुँच जाएँ फिर अपना कमाल दिखाएँ जनता तो मुर्ख है ही उसी जनता में से कुछ को दौलत से ख़रीदा जाता है तो कभी डर से बुलाया जाता है तो कभी धमकी दी जाती है .
बहाना भी बहुत खूबसूरती से मिल जाता है के हम क्या करें हमारी सरकार तो है ही नहीं हम दिल्ली में तो हैं मगर राज्य में नहीं राज्य में तो हैं दिल्ली में नहीं कुछ ऐसे भी हैं जो सिर्फ छेत्र में हैं मगर कहीं नहीं न यहाँ न वहां मगर उनका हाथ है वहीँ नोट है जहाँ जनता कहीं देश कहीं .
हम क्यों नहीं एक होते हैं इस लिए के हमने भी सिर्फ खुद को ही देखा है हम अपने बारे में ही सोचते हैं जिस लीडर ने ५०० हमें दिया उसी का हो जाते हैं वो भी यही जानता है के ग़रीब जनता को चाहिए क्या सिर्फ आज के लिए कुछ पैसे कल को जनता याद नहीं रखती .
क्या एक पार्टी पुरे हिंदुस्तान में एक हो सकती है सबकी निति एक हो सकती है सबका मकसद एक हो सकता है तो हम जनता एक क्यूँ नहीं एक हो सकते हमारी आवाज़ एक क्यूँ नहीं हो सकती हमारा मकसद एक क्यूँ नहीं हो सकता हम एक दुसरे से कदम से कदम मिला कर क्यूँ नहीं चल सकते हमारा एक प्लेटफार्म क्यूँ नहीं हो सकता .
जो भी एक नयी पार्टी बनता है यही कहता है के हम किसी को नहीं मानते सब चोर हैं रोज़ एक पार्टी जन्म लेती है मगर सबके रंग कुछ बदले होते हैं मगर सबकी नियत एक ही होती है के किसी तरह जनता को उलझाव और राज करो .
ये भी सही है के देश के लिए पार्टी का होना ज़रूरी है बिना लीडर के बिना पार्टी के देश नहीं चल सकता इसका मतलब ये तो नहीं के एक दिन आयेगा के हर गाँव में एक पार्टी का मालिक होगा और इस तरह कभी भी हम एक पार्टी को पूरी ताक़त नहीं दे सकते नहीं उसके बहाने मिटा सकते क्युनके उनको यही चाहिए के जनता को कब कैसे घुमाना है सबको कम से कम एक ही चांस चाहिए क्युके इसी पर एक बात याद आयी .
एक हुशियार आदमी या नेता ही होगा :-
उसे एल लाख रुपये की ज़रुरत थी सोचा कहाँ से आएगा अचानक उसे याद आया के कुछ किया जाए तो उसने कुछ बेकार ईंट के तुकरे जमा किया और उसे बारीक पिसना शुरू किया पुरे को पिसने के बाद एक लाख पांच हज़ार काग़ज़ के पर्ची बनाया फिर सबको एक एक पुडिया बनाना शुरू किया . जब लोगों ने देखा तो पूछा के ये क्या है तो उसने कहा के ये मंजन दांत साफ़ करने के लिए तो लोगों ने कहा के पागल ये तुम्हारा मंजन कौन खरीदेगा इसमें तो सिर्फ ईंट की सुर्खी ही है जो एक बार लेगा दोबारा नहीं आएगा . तो उसने कहा के हमें कौन सा रोज़ रोज़ एक जगह बेचना है आज इस गली में कल उस मोहल्ले में फिर कहीं दूसरी जगह बेचूंगा हमें सिर्फ ये एक लाख पांच हज़ार ही तो बेचने है वैसे हिंदुस्तान में शहर की कमी नहीं नहीं बेवकूफ की कमी है हमें तो सिर्फ एक बार ही बे वकुफ़ बनाना है मेरा मकसद पूरा काम ख़तम .
तो यही बात आज हमें लगता है के कुछ ज़रूरतमंद नेता भी करने लगे हैं यहाँ से जीते कल कुछ नहीं किया फिर पार्टी से दुसरे जगह से टिकेट लेकर खड़े हो गए फिर वही वादा वही इरादा .
मगर हम जिस दिन एक हो जायेंगे एक कंप्यूटर नंबर इन पर दाल देंगे जिनको पूरा देश पहचान जाएगा दोबारा इनके झांसे में नहीं आएगा दोबारा कोई बर्बाद नहीं होगा तब इन्हें समझ में आएगा के नहीं अब जनता होशियार है इसे बहला नहीं सकते डरा नहीं सकते समझा नहीं सकते अब लीडर को भी सीधा रास्ता चलना चाहिए जिस तरह पुरे भारत में पार्टी का एक ही निशान है उसी तरह पुरे भारत में जनता हर भारतीय का एक ही निशान है आवाज़ दो हम एक हैं मज़हब और ज़ात के नाम पर हमें कोई अलग नहीं कर सकता अपनी सियासत की रोटी नहीं सेंक सकता अब हमें होश आ गया आज हमारी नींद टूट गयी कोई हमें मत छेड़े अब हम सिर्फ और सिर्फ एक मिशन पर चलने वाले हिंदुस्तानी हैं हमारी पहचान यही है हमारी शान यही है .
इस लिए धोके बाज़ लीडर नेता अब आप होशियार हो जाओ हमें लोली पॉप देकर मत बहलाओ रहम करो हम सोचने लगे हैं समझने लगे हैं कुछ करने लगे हैं .
कृपया अगर किसी को बुरा लगा हो तो माफ़ी चाहता हूँ .
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