Menu
blogid : 4773 postid : 9

मोहब्बत ?

Great India
Great India
  • 107 Posts
  • 253 Comments

लघुता से प्रभुता मिलें प्रभुता से प्रभु दूर : चीटी शक्कर ले चलीं हाथी के सीर धूर .

अफ़सोस हम प्यार तो करते हैं मगर उन से नहीं जिनसे करनी चाहिए हमारे दिल में अगर माँ बाप भाई बहन की सच्ची मोहब्बत हो तो हम हर किसी से मोहब्बत करना सिख जायेंगे क्युनके सच पूछा जाए तो आज हमारे दिल में किसी के लिए प्यार है ही नहीं ये शब्द बहुत कठिन है इस शब्द को निभाना बहुत ही मुश्किल है . क्युके धोका भी मोहब्बत को ही बदनाम करता है बिश्वास घात भी मोहब्बत ही के बाद होता है ग़द्दारी भी मोहब्बत के बाद ही होता है हर जगह मोहब्बत का दम भरा जाता है मगर उस मोहब्बत को मोहब्बत से नहीं किया जाता . जिस मोहब्बत का बुनियाद ही मकसद ही खुदगर्जी हो फरेब हो धोका हो फिर वो मोहब्बत कहाँ रहा .
आज बेटे को बाप से मोहब्बत नहीं अगर होता तो ये उसे एहसास ज़रूर होता के जब मैं चोरी बे इमानि रेप घूस या किसी भी बुरे इलज़ाम में अगर जेल जाता हूँ या पकड़ा जाता हूँ तो मेरे बाप माँ भाई के दिल पर कितना सदमा होगा उन्हें ज़माना किस नज़र से देखेगा क्या कहेगा . जबके मोहब्बत यही है के खुद पर जितना हो सके तकलीफ उठा ले मगर माँ बाप को तकलीफ मत दे वो मत करे जिस से उनका दिल दुखे सर झुके यही मोहब्बत है बेटे का बाप से.
जब ये मोहब्बत जन्म लेगा हर बेटे के दिल में चाहे वो बेटा क्लर्क हो किसान हो पुलिस हो नेता हो या जो भी हो मगर है तो किसी का बेटा तब कहीं जाकर हमें मोहब्बत का मतलब या मज़ा समझ में आएगा और ये सन्देश हम सब को दे सकते हैं के ये है मोहब्बत मगर काश मुझे मोहब्बत समझ में आता .

वैसे तो मोहब्बत के बहुत रंग हैं अलग अलग अंदाज़ हैं इज़हार के तरीके भी अलग अलग हैं मगर मकसद एक ही है के जिस से मोहब्बत की जाए वो खुश रहे उसे कोई रंज या गम मत छु ले दिल को तकलीफ नहीं पहुंचे .

आज हमने मोहब्बत को तेजारत मौज मस्ती और खुदगर्जी का एक सीढ़ी समझ रखा है के इस पर चढो और बस अपनी मंजिल पर पहुँचते ही इसे छोर दो .

उम्मीद करता हूँ के हमारे देश के उन लोगों को ये बात समझ में आ जाए जो मोहब्बत को तेजारत समझ बैठे हैं मैं कहना चाहूँगा के जब जुर्म करते हैं तो पहले एक मोहब्बत भरी बा इज्ज़त बाप के चेहरे को देखें अपनी मासूम बहन जिसकी अभी शादी करनी बाकी है उसके आने वाले कल को मोहब्बत से देखें और ज़रा ये सोचें के आज जब मेरे कारनामे हमारे घर तक पहुंचेंगे तो क्या गुजरेगा उन पर जो आदर्श ईमानदारी इज्ज़त को अपना धर्म समझते है एक वक़्त भूके रहना तो पसंद करते हैं मगर अपने इज्ज़त व आबरू को नीलम होते देखना नहीं चाहते तब क्या करेंगे वो ग़रीब माँ बाप जो अपने आँखों में अपने लाल के लिए सुनहरे सपने सजाये बैठे हैं एक उमीद की किरण नज़र आती है जब वही लाल उनके सामने काले धब्बे लगा कर आये ज़माने में रुसवा कर दे सबके नज़रों से गिरा दे तब जा कर जन्म लेता है आत्महत्या का खेयाल कहीं ज़माने से रूठ कर गूम हो जाने का खेयाल खुद को मिटा देने का इरादा .

ये सब उसी वक़्त होता है जब किसी से मोहब्बत हो और वो बदल जाए मोहब्बत को भूल जाए .

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh