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क्या हम सोचते हैं ?

Great India
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आखिर हम क्यूँ उन बातों में अपना समय बर्बाद करते हैं जिस समय में बहुत कुछ कर सकते हैं , कोई भी बात कहने का मकसद क्या होता है अगर मकसद भलाई है तो ठीक वरना हम वो बात ही क्यूँ कहें जिस से लोगों को भी परिशानी और अपना समय भी बर्बाद फायेदा कहीं से भी नहीं .
आज फिर कुछ लोग एक बात को लेकर ज़हर घोल रहे हैं उसे मुद्दा बना रहे हैं जिसका कोई मतलब नहीं मगर ये वही मुद्दा बनाते हैं जिनको मुद्दा बनाने के लिए रखा गया है जिनका मकसद ही है अशांति फैलाना क्युनके उनको सबसे ऊँची कुर्सी पर जाने के लिए ये करना ज़रूरी है .
एक मुद्दा जो बरसों पुराना है वो है गाय की हत्या जिस पर बहुत से लोगों का बिचार सामने आया है वैसे जिनके पास कुछ है वो इन बातों में नहीं जाते मगर क्यूँ बात समझ में नहीं आती के ” गाय हत्या ” कहना सही है या नहीं हत्या का मानी क्या है हत्या कहते किसे हैं हत्या का सही मतलब क्या है . जहां तक पढ़ा और सुना गया है के हत्या उसी को कहते हैं जिसका कोई दोष नहीं हो और खास कर वो दोष नहीं हो जिसकी सजा मौत हो जिस तरह जुर्म के हिसाब से सजा है हर जुर्म का सजा मौत नहीं तो अगर चोरी के जुर्म में मौत की सजा नहीं गाली के जुर्म में मौत सजा नहीं यानि के जो जुर्म होगा उसी हिसाब से सजा दिया जाएगा अगर चोरी की है तो मौत की सजा देना हत्या है गाली दी है तो मौत का सजा हत्या है क्योंके उस चोर को भी उसके माँ बाप प्यार करते हैं और हत्या करने वाले की सजा मौत है इस लिए के किसी कानून में चोरी की सजा मौत नहीं न तो दुनिया के कानून में न तो इश्वर के कानून में . अगर हम गाय को खाना हत्या मानते हैं तो बकरी मुर्गी खस्सी मछली चिड़िया ये सब भी तो एक जीव हैं फिर इनको हत्या का नाम क्यूँ नहीं दिया जाता है जबके बकरी खस्सी मुर्गी कबूतर ऐसे हैं के इनको अपने साथ खिलाया जाता है बचपने में इन से प्यार किया जाता है इनको गोद में बैठाया जाता है सभी इन से मोहब्बत करते हैं फिर इनको खाने में क्यूँ हमें अच्छा लगता है आखिर इन में भी तो जान है क्या ये हत्या नहीं ? जिस गंगा नदी को हम पवित्र और माँ मानते हैं जिस जल को पवित्र मानते हैं आदर सम्मान करते हैं उस जल को मरने से पहले पिलाया जाता है उसी जल से हम अपनी गन्दगी धोते हैं ये माँ के साथ ज़ुल्म नहीं उसी गंगा में जाकर अपना गन्दा शारीर धोते हैं ये पाप नहीं तब हमारा ईमान धर्म आदर सम्मान कहाँ सो जाता है कभी हमने सोचा है ? उसी तरह जिस हम जिसे आदर और सम्मान के नज़र से देखते हैं माँ कहते हैं उसे ज़बह करने को हत्या कहते हैं और जब हम बाज़ार जाते हैं तो कहते हैं के अच्छा वाला चमड़े वाला जूता दिखाना असली चमड़े का होना चाहिए कभी आपने पूछा के जहाँ ये बनता है किस चमड़े से बनता है जिसे आप लेदर कहते हो ये कहाँ से आता है कभी सोचा नहीं ? जब यही गाय किसी अनजाने सड़क पर मर जाती है तो उसे वहीँ सड़ने के लिए छोड़ देते हैं वहां से रास्ता बदल देते हैं बदबू आती है क्यों आखिर तब कहाँ सो जाता है हमारा ईमान क्यों भूल जाते हैं सम्मान कहाँ मर जाती है हमारी माँ की मोहब्बत कभी सोचा है हमने नहीं ? जिस तरह हम एक गाय जो एक जानवर है मालिक ने खस्सी बकरी मुर्गी और चिड़िया के तरह उसे भी किसी के लिए हलाल बनाया है अगर वो खाता है तो उसी गाय के पार्ट से बहुत सारे काम चलते हैं बहुत साड़ी चीज़ें बनती हैं रोज़गार होता है हर किसी को फायेदा ही फायेदा होता है किसी को नुकसान नहीं होता कोई गरीब उसी गाय को पालता है पोस्ता है दूध पिता है जब वही गाय कमज़ोर हो जाती है अब उसके काबिल नहीं होती उसका एक पूंजी ख़तम होने का डर होता है तो बेच देता है उसकी पूंजी भी निकल जाती है और उसके जिस्म के हिस्से फिर दुसरे कारोबार में लग जाते हैं तो क्या बुरा है सबसे पहले मैं उन लोगों से आग्रह करना चाहता हूँ जो इस पर अंगुली उठाते हैं हंगामा करते हैं पहले गाँव देहात में जाएँ गरीबों की गाय जो बेकार हो चुकी है अब उनकी एक पूंजी डूबने वाली है उसे मुनासिब दाम दे कर खरीद लें उस गरीब की मदद भी करें और गाय को ले कर जाएँ कहीं हिफाज़त से रखें उसे मरने से बचाएं या या मरने पर उसे दफ़न करने या जलाने का इंतज़ार करें ये हो सकता है ? कभी आप ने सोचा है नहीं ? . काश हम जिस तरह एक जानवर के लिए सोचते हैं उसी तरह उन गरीब मासूम माँ बहनों के लिए सोचते जिनके इज्ज़त मान सम्मान का हत्या हो रहा है हम ही करते हैं एक तरफ चिल्लाते हैं दूसरी रात अगर हमारे नज़र आ जाए तो हम ही उसको शिकार बना लेते हैं आखिर क्यों नहीं सोचते हम सब से पहले ये ज़रूरी है के हम अपने दिमाग व दिल को उस तरफ लगाएं जहाँ देश बदनाम हो रहा है जहाँ मासूम हमारी बहने अपनी इज्ज़त की दुहाई दे रही हैं उनको क्यों नहीं बचाने की कोशिश करते हैं ये नेता समाज के लिए क्या करते हैं इनका काम सिर्फ और सिर्फ यही है सिर्फ एक को दुसरे के खेलाफ़ करो और राज करो कभी आवाज़ आयी के आज एक गाँव में आग क्यों लगी कहीं अबला की इज्ज़त लुटी तो लुटने वाला कौन है अगर किसी गाँव में बिजली नहीं तो क्यों नहीं रोड नहीं क्यों नहीं हॉस्पिटल नहीं तो क्यों नहीं बस जब वोट का समय आयेगा वादों के पेटारे खोले जायेंगे लोगों को बहलाया जाएगा उल्लू बनाया जाएगा वोट लेकर फिर ५ साल तक ऐश होगा फिर अगर ये इलाका सही में बेवकूफ रह गया तो ठीक है नहीं तो अब अगली दफा किसी और इलाका से चुनाव लड़ा जाएगा यही है नेता की निति . हम ने कभी सोचा के हम कैसे इनके चाल से बचें कैसे इनको सबक सिखाएं नहीं कयोंके ये होशियार नेता हैं हम आज भी वही बेवकूफ हैं जो इनके बहकावे में आकर नफरत गुस्सा छोटा बड़ा उंच नीच ज़ात पात धर्म और नहीं जाने कितने सारे फसाद में उलझ जाते हैं और ये खुश होकर अपना काम कर जाते हैं . अफ़सोस सद अफ़सोस काश हम कुछ सोचते कुछ बनते कुछ करते एक होते नेक होते आवाज़ आती के हमें तोड़ने की कोशिश मत करो हम एक हैं हमारा नाम हिंदुस्तानी है हम मज़बूत हैं हमारी सोच एक है हमारा कर्म एक है वो है मोहब्बत और ज़ुल्म को मिटाना दुश्मनों को पानी पिलाना नारा एक हो जो हम से टकराएगा चूर चूर हो जाएगा . धन्यवाद .

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