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अभी अभी मैं ने देखा के एक साहब हैं जो औरत को परदे में रखने को दक्यानोसी कहते हैं और ऐसा लगता है के वो या तो परदे का मतलब नहीं समझे या तो परदे से उनको नफरत है पर्दा किसे कहते हैं अगर जान जाते तो कभी भी हमें परदे की वकालत से नहीं रोकते मैं ने औरत को दौलत से तुलना नहीं किया के औरत कागज़ की दौलत की तरह है ऐसा नहीं है बलके औरत औरत वो दौलत है नेमत है जो हमें रब ने दिया है जिसके लिए हम जान की बाज़ी लगा देते हैं अगर दौलत लुटने लगती है तो हम जान बचाते हैं दौलत दे कर जान बचाई जाती है मगर औरत देकर दौलत नहीं बचाई जाती इस लिए इंसान के ज़िन्दगी में जिसकी जितनी अहमियत होती है उसकी उसी तरह हिफाज़त की जाती है आम इन्सान के लिए कोई हिफ़ाज़ती दस्ता नहीं कोई पहरेदारी नहीं कोई बोडिगार्ड नहीं मगर जब वही इंसान थोडा सा वज़न बढाता है अपने में बदलाव लाता है ज़रा ऊपर होता है तो अब उसके लिए कुछ हिफाज़त कर दिया जाता है यानि के अब थोडा पर्दा दे दिया जाता है कल हर से हर वक़्त मिलता था अब कुछ कम मिलने लगा ठीक उसी तरह हर चीज़ की कीमत अपने वक़्त से बढ़ जाती है तो औरत जो के मुकम्मल ही वज़न और इज्ज़त और महान है तो चाहे वो एक गरीब घर की हो या किसी मुल्क की मालिक हो है तो वही ममता की देवी मालिक की दी हुयी नेमत यानी औरत .
मैं बताना चाहता हूँ के मालिक ने किस किस को परदे में रखा कुछ खास चीज़ों को देखा जाए .
१. हवा – जो हमारे लिए बहुत ही ज़रूरी है जिस से हर किसी की जान को फायेदा होता है यहाँ तक के बड़ा से बड़ा काम हवा से किया जाता है किसी ने देखा है नहीं वो भी
परदे में ही है.
२. खुशबु – जो फूल में रहे या अतर की शीशी में या किसी भी चीज़ में जो दिल को खुश करती है हमें ताजगी देती है किसी ने देखा नहीं सिर्फ महसूस किया वो भी परदे में.
३. मज़ा – चाहे वो फल का हो या खाने का हो या जिस में भी हो किसी ने देखा सिर्फ महसूस किया जाता है वो भी परदे में है .
४. बिजली – बिजली भी परदे में है उसकी रौशनी नज़र आती है उसे भी पर्दा ही प्यारा है .
५. प्यार – जिस पर सब कुछ टिका हुआ है रिश्ते बनते हैं दर्जे बदलते हैं कभी बेटा या बेटी कभी भाई या बहन कभी माँ या बाप और बहुत कुछ मगर प्यार नज़र नहीं आता
सिर्फ महसूस करते हैं देख नहीं सकते .
६. दौलत – यानी कागज़ का नोट सोना जो भी हो जब तक ज़ाहिर है चोरी का खतरा है मगर उसे परदे में रखा जाए तो उसकी बका है यानी वो बाख सकता है कौन है जो
दौलत को सरे आम रखता है उसे भी परदे की ज़रुरत है .
७. दिल – इंसान के पैर हाथ सर की तरह इसे भी मालिक कहीं सामने रख सकता था मगर नहीं बहुत ही खास अंग है इस लिए उसे भी परदे में रखा गया .
अगर सबका नाम लिखा जाए तो समय लगेगा सिर्फ कुछ चीज़ें इस लिए राखी गयीं के पता चले के परदे में किसे रखा जाता है पर्दा किस के लिए और किस से किया जाता है यही वजह है के हम परदे को अदना या मॉडर्न जान कर हल्का समझ बैठे और जब एहसास हुआ तो सब कुछ खो बैठे थे .
मैं तमाम भाई बहनों से पूछना चाहता हूँ के आप परदे को क्या समझते हैं ये मेरा मशवेरा गलत है या सही अगर सही है तो हम क्यों नहीं इसे अपनाते हैं और अपनी माँ बहनों को वो इज्ज़त देते जिनके वो हक़दार हैं . आप सबके जवाब का और खेयाल को जानने का इंतज़ार रहेगा . धन्यवाद् .
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