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कौन है ज़िम्मेदार इस दरिंदगी का इस अस्मत दरी का क्यूँ हैं हमारी लड़कियां बेबस ये सवाल है हर ज़ुल्म के शेकार हुई लड़की का वो मां बाप जिनका सब कुछ लुट गया कौन है जो जवाब दे के आखिर क्यूँ और कब तक होगा ये ज़ुल्म का नंगा नाच कब तक रहेंगी हमारी बेटियां बेबस हम हैं मजबूर ?
शाएद जब तक हम खुद नहीं बदलेंगे
जब तक हम नहीं अपनाएंगे वो रास्ता जिस पर हमारे पुर्वज चले
जब तक नहीं मिलेगी वो सजा ज़ालिम को जो हम चाहते हैं एक माँ बाप का दिल चाहता है
जब तक निकल नहीं जाएँ हमारे बिच से झूठे नेता
शाएद जब नहीं बनता वो कानून इस्लाम धर्म में है मुमकिन ये बात किसी को सही नहीं लगे मगर ठीक से सोचें तो पता चले
जब तक नहीं निकलता हमारे देमाग से मॉडर्न स्टाइल
जब तक हम पूरी तरह जग नहीं जाते
जब तक हम एक ज़िम्मेदार और जागरूक और चौकन्ना माँ बाप नहीं बन जाते
कानून पुलिस संसद हमारे दरवाज़े पर खड़ा होकर पहरा नहीं देगा
हम पसंद करते हैं
मॉडर्न स्टाइल
लड़कियों की आजादी
चुस्त फिट कपडे
हमारे पास नहीं है लड़कियों के समय पर पाबन्दी
तालीम है हमारे पास
मगर इंजिनियर का डॉक्टर का साइंस का अकाउंट का
नहीं देखा मेरे बेटे ने
गीता , ग्रन्थ , कुरान
नहीं है धर्म की किताब किसी घर में
नहीं है पाप पुण्य का पाठ किसी घर में
पाबंदी नहीं है
कानून या पब्लिक के तरफ से नंगे पोस्टर दीवार पर चिपकाने पर
बस या ट्रेन एक साथ भीड़ में सफ़र करने पर
एक साथ लाइन लगाने पर रोड या पार्क में रोमांटिक मूड में टहलने पर
स्कूल या कालेज में एक साथ बैठने पर
मिक्स एजुकेशन पर
क्या हमने सोचा है
अगर लकड़ी आग के पास हो तो बच जाएगा
मैगेनेट लोहा के पास हो तो टच नहीं होंगे
शराब पि तो नशा नहीं होगा
इस लिए हम खुद भी हैं ज़िम्मेदार इस ज़ुल्म का इस बर्बादी का इस अस्मत दरी का कानून पुलिस के साथ साथ .
प्रिय पाठकों मुमकिन है मेरी बात बुरी लगी हो मगर ठीक से ज़रूर सोचें फिर फैसला करें के क्या सही है क्या ग़लत जो हमने देखा है दुसरे मुल्कों में वही देखना चाहता हूँ अपने मुल्क में जिस से हमारी बेटियां बहने खुश और सेफ रहें उनकी ज़िन्दगी खुश हाल हो हमारे मुल्क की भी इज्ज़त हो माँ बाप को सकूं मिले हमारे पास घुमने फिरने के लिए समय है मगर बेटी या बहन को स्कूल तक सेफ छोड़ने या वापस लाने के लिए समय नहीं हमारे घर में मोबाइल सिर्फ बात के लिए नहीं बलके एक सिनेमा हॉल या मन चाहा फिल्म सेंटर से कम नहीं जिसमे सब कुछ है जो घर ही नहीं सबको जलाने के लिए काफी है हम दौलत के नशा में ला परवाह हो चुके हैं इज्ज़त से लाज से शर्म से सभ्यता से आखिर ये घटनाएं एक बड़े राजनेता या मंत्री या पुलिस ऑफिसर या बड़े लोगों के बेटियों के साथ क्यों नहीं होती ये सब साधन उनके पास भी है मगर वो सिमित हैं हम ला परवाह हैं हमें अपनी इज्ज़त मर्यादा से पयार नहीं हम दौलत जमा करने औरऊँचे लोगों को छूने में लगे हुए हैं .
मैं माफ़ी चाहूँगा जो बातें बुरी लगी हों धन्यवाद
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