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आज हम हिंदी का सही हक दिलाने में खुद ही इतना न पीछे हैं के लगता है के ये हमारी भाषा ही नहीं हम ज़बरदस्ती इसका पर्योग करके बस रस्म अदा करते हैं जिस हिंदी को 1950 में सरकारी भाषा के रूप में मान्यता मिला और सब काम हिंदी में शुरू हुआ जबके ये देवनागरी से शुरू होकर हिंदी का नाम दिया गया सभी लोग बड़े ही गर्व से बोलने और लिखने लगे उर्दू और संस्कृत साथ रही सबको अपना स्थान मिला हमारा देश भी हिंदुस्तान जिस पर लोगों को गर्व होने लगा .
बहुत ही खूबसूरती के साथ इस भाषा का परचालन हुआ और एक से एक कवी ने लिखना शुरू किया और इस तरह पुरे देशवासियों के दिल में बस गया आज भी बिहार, झारखण्ड , उत्तर परदेस , मध्य परदेस ,देहली और राजस्थान जैसे राज्यों का सरकारी भाषा है मगर हर कोने में हमारी ज़बान हिंदी बोली जाती है .
हिंदी भाषा भी उर्दू के तरह ऐसी भाषा है के जिसके पर्योग से हम सबकी इज्ज़त और अदब का ख्याल रख पाते हैं आज हिंदी सिर्फ भारत ही नहीं बलके बाहर के देशों में भी बहुत ही शौक से लोग हिंदी बोलते हैं जैसे दुबई बहरैन सऊदी अरब बुर्नायी इत्यादि .
मगर अफ़सोस के साथ कहना पड़ता है के हमारे देश वासी इंग्लिश बोलने में बहुत ही ख़ुशी महसूस करते हैं मगर जब हिंदी की बारी आती है तो बगल झाब्कने लगते हैं जैसे के उन्हें शर्म आ रही हो हिंदी बोलने से कतराते हैं जब अपनों से भी बात करते हैं तो इंग्लिश का पर्योग किये बिना रह नहीं पाते हैं सच्चाई ये है के इंग्लिश स्कूल ने ऐसा किया है के हिन्दी लिखना हिन्दी बोलना बिलकुल लोग भूलने लगे हैं यही कारण है के अगर सही हिन्दी कोई बोलना शुरू करे तो संभवतः उसकी पूरी बात समझने में असमर्थ हो जायेंगे.
अगर मैं ये दावा करूँ के घर के पुरे लोगों को या रिश्ते को सही नाम से पुकारने में जो ख़ुशी और साफ़ समझने की छमता हिन्दी और उर्दू भी देता है वो किसी दुसरे भाषा में नहीं जैसे हम कजन इंग्लिश में कितने रिश्ते को मिला कर बुलाते हैं मगर हिन्दी में अलग अलग नाम है इंग्लिश में या अन्य भाषा में यु सबके लिए पर्योग होता है पिता हों या बड़े भाई या बेटा या कोई एक शब्द है मगर हिन्दी में इसको दो नाम दिया गया बड़ों के लिए आप छोटों के लिए तुम उसी तरह अगर कोई इंग्लिश में मदर इन ला कहता है तो पता नहीं चलता के किसको बुला रहा है इस में भी दो या तिन रिश्ता हो जाता है इस तरह आम आदमी हैरान होता है .
मगर जब हम हिन्दी का पर्योग करते हैं तो सब नाते रिश्ते बिलकुल साफ़ हो जाते हैं मैं आखिर में यही कहूँगा के काश हम अपनी भाषा हिन्दी का महत्व जान जाते और दिल व जान से इसे प्यार करते इसका दिल से पर्योग करते इसको पुरे भारत में हर भारतियों के ज़बान से सुनते तो आज कितनी ख़ुशी होती सबको एक दुसरे से मिल कर ख़ुशी होती जैसे पुरे भारत में अशोक के निचे लिखा होता है सत्यमेव जयते काश ये शब्द हर भारतीय पढ़ पाता और समझ पाता भारत के हर कोने कोने में राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी का सपना और कोशिश रंग लाती हमें पता चलता के सही कहा था बापू ने के हिन्दी आसान है शुरू तो करो ..
इस लिए हमें चाहिए के हम हिन्दी को बढ़ावा देने और इसे पुरे भारतीय के दिल की धड़कन बनाने की कोशिश करे और बापू के सपने को साकार करे .
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