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मैं अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर
लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया
आज से बहुत पहले जब हम किसी के गुलाम थे ज़ुल्म व जबर के चक्की में पिस रहे थे हर तरफ कराह ही कराह था सबकी ज़िन्दगी दूभर हो रही थी देश को दोनों हाथों से लुटा जा रहा था हमारा देश खोखला होते जा रहा था इंसानियत दम तोडती हुयी नज़र आ रही थी कोई पुरसाने हाल नहीं था तब हर वो इंसान जिसके दिल में कुछ कर गुजरने की खाहिश पैदा होती है अपने गांव मोहल्ले शहर या राज्य या देश के लिए कुछ करना चाहता है तो उसे ख्याल आता है के मैं अकेला क्या कर सकता हूँ मेरी पहुँच कहाँ तक है मेरी ताक़त क्या है .
तो वो खुद को तनहा महसूस करता है और उसके जोश ठंडे पड़ जाते हैं अपने पाँव को रोक लेता है दिल को समझाता है खुद को कभी निकम्मा कभी मजबूर कभी कमज़ोर कहता है कभी खुद को कोसता है कभी समाज को बुरा भला कहता है तो कभी अपनी ताक़त पर मायूस हो जाता है
फिर उसे एक दर्द भरी चींख सुनाई देती है किसी के रोने की आवाज़ उसके नर्म और तेज़ कानो से गुज़रते हुए दिल में समां जाती है तब उसे कोई सरगोशी करता है उसके ज़मीर को आत्मा को झंझोड़ता है और कहता है के :
तुम एक सपूत हो
तुम एक देश के लाल हो
तुम देश का समाज का गरीबों का भविष्य हो
तुम एक मादरे वतन के सिपाही हो
तुम हर अँधेरे का उजाला हो
तुम जो उठ जाओ तो ज़माना उठ जाए
तुम जो जग जाओ तो देश जग जाए
तुम जो निकलो तो ज़माना निकल जाए
तुम जो संवरो तो देश संवर जाए
तुम जो चाहो तो ज़माना बदल जाए
फिर एक देश का सपूत भारत माँ का बेटा हिम्मत करता है और सर पर कफ़न बांधे देश वासियों को आवाज़ देता है के मैं अपनी मंजिल के तरफ सफ़र में निकल चूका हूँ मेरा मकसद देश की आजादी है देश को बचाना है देश को गुलामी के चंगुल से मुक्त कराना है उठो देश के लालों मैं तुम्हारे साथ हूँ फिर आवाज़ बुलंद होती है एक और देश का भग्त देश प्रेमी भारत का सिपाही सामने आता है इसी तरह एक एक करते एक गरोह तैयार होता है जिसे आज़ादी की प्रेरणा दी जाती है धीरे धीरे पूरा भारत नींद से जग जाता है सभी को हिम्मत पैदा होती है सभी के सामने सिर्फ एक ही जनून छा गया एक ही मकसद बना के हमें आज़ादी चाहिए भारत के पाक धरती से उन्हें भगाना है ज़ुल्म से नजात पाना है इस तरह जब भारत एक था पाकिस्तान बंगला देश मिल कर एक भारत था तब एक ने आवाज़ दी और पूरा भारत साथ हुआ फिर देश को आज़ादी मिली आज हम फख्र से कहते हैं के हम अपने देश में आजाद हैं .
आखिर वो हिम्मत वो सोच वो ताक़त वो जनून कैसे पैदा हुआ जब किसी का दर्द नज़र आया किसी की तकलीफ नज़र आयी ज़ुल्म बढ़ गया था जब किसी की आह व दर्द की कराह कानो तक आती थी तो कलेजा चाक होता था देश के लिए जज्बा दिल में था आजादी का लगन दिल में था तब ये मुमकिन हो सका .
आज हम फिर उसी चौराहे पर खड़े हैं आज फिर एक महात्मा गाँधी बापू , राजेंदर प्रसाद सुभाष चन्द्र बोस , मुहम्मद अली जौहर , और देश के सवतंत्रता सेनानी जैसे लोगों की ज़रुरत आन पड़ी है हम आज दूसरी दफा आज़ादी चाहते है हमें फिर आजाद होने की ज़रुरत आन पड़ी है आज हम फिर गुलाम बन चुके हैं
नफरत का
गलत विचारों का
देश से गद्दारी का
भयानक गुनाहों का
बलात्कारों का
रिश्वत व भ्रष्ट्चारों का
खुदगर्ज़ व ढोंगी राजनेताओं का
भगवान के दुलारे प्यारे और खुद को पवित्र कहने वाले ढोंगी संतों का
ज़ात पात गलत विचारों का
तू मैं हम तुम मैं का
कोई तो हो जो हमें एक आवाज़ दे हम एक हैं , अब हमारी नींद टूट चुकी है, देश के हर नागरिक को देश का सिपाही बन जाना चाहिए .
क्यूँ के हम जब तक हम नहीं होंगे जब तक मैं रहूँगा ये बीमारियाँ रहेंगी देश बर्बादी के तरफ जाता रहेगा लोग हम पर हँसते रहेंगे हमारा मजाक उड़ाते रहेंगे हमारी बेटियों की इज्ज़त महफूज़ नहीं रहेगी हम हम नहीं रहेंगे जब तक मैं मैं होता रहेगा ये सब होता रहेगा .
इस लिए किसी ने सही कहा है :
जनू में गर्दिशे माहौल का रुख मोड़ देते हैं
हम वो भारतीय है जो बातिल का पंजा तोड़ देते हैं
तौहीन की नज़रों से न देख मेरे भारत को
ज़माना जानता है ऐसी आँखें फोड़ देते हैं
इंसान कब किसी का आसरा एहसान लेता है : वही कुछ कर गुज़रता है जो दिल में ठान लेता है
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