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बहुत बड़ी चुनौती

Great India
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आज कुछ दिल की बातें जो सिर्फ देश हित में निकलना चाहती हैं उस से पहले मैं जानना चाहता हूँ के हम सबकी यहाँ से निकली हुई आवाजें हम सबके विचार हम सब की फर्यादें कितने लोगों तक पहुँचती हैं .
काश इन तमाम विचारों को पूरा देश देखता और हर विचार व आवाज़ पर देश के जनता की मुहर लगती पसंद या नापसंद की सबके इरादों का पता लगता हम सब एक दुसरे से अपनी मतों को मिला पाते एक नतीजे पर पहुँचते एक एक विषय पर हम अपनी बहस पूरी करते अपने ख्यालात का पता लगाते इस तरह हमारी मुहीम किसी मंजिल तक पहुँचती किसी एक समस्या का हम समाधान कर सकते थे काश ऐसा होता .
हम जितनी भी बहस करते हैं या जो कुछ लिखते हैं अगर दिल से लिखें या पढ़े या उस पर विचार करें जो बातें देश हित में हो जो विचार समाज हित में हो विकास हित में हो उन तमाम लेखों या विचारों का एक सारांश तैयार होता उसे देश के आम जनता तक पहुंचाया जाता ताके धोका फरेब जाल और ठगी के मुखवटे आम जनता पर उजागर होता अगर ऐसा होता तो इन तमाम मेहनतों का कुछ समाज को फायेदा मिलता नहीं तो इन लेखों से कुछ हासिल नहीं सेवाए समय की बर्बादी के .
खैर आज हमारे देश वासियों के सामने फिर एक चुनौती और बहुत बड़े इम्तेहान का समय आ रहा है जिसके लिए हम तमाम भारतियों को बहुत ही गहन छान बिन और बहुत ही सावधानी से इस अहम् और बड़ी चुनौती से मुकाबला करना है यानी के आगामी लोकसभा का चुनाव और तरह तरह के खूंखार, डरावने शक्ल वाले गुंडों ( जो हम में सी ही कुछ लोग हैं जिन्हें ये पालते हैं ) , शातिर देमाग , किसी एक ज़ात, किसी एक सूबा, किसी एक धर्म या किसी एक संगठन का सहारा लेकर या उसकी दुहाई देकर हमारी ताक़त , हमारी मोहब्बत , हमारी एकता , सवर्ग जैसा भारत , दुनिया का अनोखा और बेमिसाल सभ्यता देने वाले देश का मान मर्यादा और हमारे हर गुडों को दाग दार करने के लिए काफी तादाद में शक्तियां जोर लगाने वाली हैं वादा भरोसा यकीन हमदर्दी मान मनव्वल और गुनाहों की माफ़ी मांगते हुए एक बार आने और पांच साल तक मुंह नहीं दिखाने के रस्म व रिवाज के साथ फिर हमें ठगने और हम पर महंगाई के बोझ ज़ुल्म और बरबरियत का नंगा नाच खड़ा करने हम पर कर्जों के बोझ डालने की नापाक कोशिश शुरू होने वाली हैं अब नए नए राजनेता के भेस में शेर का खाल उतार कर कोई साधू के भेस में कोई राज हरीश चन्द्र के रूप में तो कोइ कड़ी पहने गांधी जी के भेस में यानी के हर नए रंग के बरसात के मेढक की तरह राजनेता बने लोगों का सकून अमन चैन को भंग करने की तय्यारी शुरू हो रही है .
जो कभी भी भूल कर दिल से राम का नाम नहीं लेता अब राम भग्त बन कर गरीबों से दूर रहने वाला गरीबों का मसीहा बन कर गरीबी का मजाक उड़ाने वाला गरीबी का नाटकीय बैध बन कर हवाई जहाज़ पर दुनिया सैर करने वाला गरीबों का सेवक कहने वाला बनकर हमारे कीमती वोटों का बटवारा करने और अपने महल को जगमगाने के लिए हमारे खून से अपने घर का झूमर जलाने के लिए बहुत सारे हत्यारे तैयार हो रहे हैं जो अब अपने भेस को बदल कर चुनाव के मंच पर एकत्रित होने में लगे हैं .
अब समय आ गया है के हमारा नेता हमारा मुखिया हमारा रहबर कैसा हो जिसे देश का वो वासी जो जंगलों दरयाओं के किनारे पानी की लहरों से खेलता हुआ अपनी जान को बचाता है टूटी फूटी झोंपड़ियों में ज़िन्दगी बसर करता है जो मिल गया खा लिया नहीं मिला तो भगवान् भरोसे सो गया उसने आज तक ऐसे मुखिया को देखा नहीं सुना नहीं या जो देश को तोड़ने आपस में लड़ाने अपनी रोटी सकने अपने मुंह मियां मिठू बन्ने की फिकर में हो देश का भला सिर्फ उसके ज़बान पर हो दिल में कुछ और हो जिसकी हकीक़त सभी जानते हों मगर अंध विश्वास अंधी मोहब्बत झूठी शान के लिए मर रहा हो हम ऐसे को अपना मुखिया चुनेगें या जिसकी हर सीरत हमारे सामने हो जो हमारी मोहब्बत और एकता को कायेम रख सके हमें अलग अलग लाईन में खड़ा न करे हमारे बिच भेद भाव नहीं आने दे हर पल हमारी हिफाज़त और एकता की फिकर रखे वो हमारा मुखिया हो आज अगर हम फिर एक मत नहीं हुए एक दुसरे के दर्द को जान नहीं सके नफरत और बगावत की आंधी को नहीं रोक सके उन नेताओं को अपने समाज से नहीं फेंका जो सिर्फ हमें धर्म ज़ात पात या राम या रहीम के नाम पर बांटने की कोशिश करते हैं अपनी रोटी को किसी तरह सेंकना चाहते चाहे वो किसी भी इन्सान के जिस्म से निकली हुई चर्बी या खून क्यूँ न हो .
दर्द होता है आज हम इस काबिल नहीं के एक साफ़ सुथरी एक पार्टी को पूरी बहुमत देकर उसे देश का बागडोर सौंपें फिर अगर वो हमारे इम्तेहान में फेल हो तो उसे ऐसा सबक दें के दोबारा हमारे बिच नहीं आ सके ये उस वक़्त मुमकिन है के जब हम लालच और बहकावे में नहीं आयें अपने उस एक मत की ताक़त को समझें जो देश के संबिधान ने मुझे दिया है यही एक वक़्त है के बिख मांगने वाला एक अदना गरीब भारतीय क्यूँ न हो मगर एक राज नेता की तकदीर उसकी मुठी में बंद होती है उसकी एकता और मोहब्बत में इतना दम है के जिसे चाहे राज बनाये जिसे चाहे उसके कर्मो की सजा देकर देश के उस महान और शक्ति शाली पद से इस तरह उठा फेंके जैसा के कभी उसका कोई वजूद ही नहीं था तब हमें अंदाज़ा होगा के हमारी ताक़त हमारी मोहब्बत हमारी एकता हमारी आपसी समझ का महत्त्व क्या है .
सबसे बड़ा हिस्सा गरीबों का है जो देश के सबसे ज़यादह हिस्से में आबाद हैं गरीब अवाम जब जाग जाती है तो ज़माना जग जाता है देश का तकदीर बदल जाता है वैसे भी गरीब ही है जो बड़े से बड़े शहर वासियों को दो वक़्त की रोटी अपने खेतों से बड़ी ही मुशक्कत व मेहनत व न जाने कितने ही खून पसीना बहाने के बाद पैदा करता है जिसे खा कर हमारे बड़े लोग उसी को गरीब होने का ताना देते हैं .
तब कहीं जाकर एक गरीब नारा देता है आवाज़ देता है :

हमको मिटा सके ज़माना ये ज़माने में दम नहीं : हमसे है ज़माना ज़माने से हम नहीं

आपके विचारों का हमें इंतजार रहेगा धन्यवाद .

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