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आज मैं अपने देश से दूर हूँ और देश की सलामती और खुश हाली के लिए प्रार्थना करता हूँ और कोशिश भी रहती है के किसी भी तरह हमारा देश एकता और अखंडता के डोर में बंध जाए सभी खुशहाली की ज़िन्दगी बसर करें दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की के मंजिल को तै करते हुए नज़र आयें हमारे देश वासी देश के अन्दर वाले दुश्मन के जाल को तोड़ दें और उनके गन्दी इरादे और नियत पर पानी फेर दें ताके उनका हौसला बुलंद न हो और हमारी ज़िन्दगी एक अच्छे नागरिक की तरह गुज़रे.
जब मैं ने टी वि पर सहारा समय पर एक देश भग्त, देशप्रेमी , देश का भला चाहने वाला, देश वासियों से प्यार करने वाला, देश की एकता और अखंडता को बहाल करने की कोशिश करने वाला अपने एक अंग से मजबूर होने के बा वजूद अपने शहर मुज़फ्फरनगर से वो सन्देश लेकर निकल पड़ा है और लोगों से एकता और अखंडता की भीख मांगता हुआ नज़र आया ये खबर देखते ही उस महान और देश के सच्चे सिपाही और सच्चे प्रेमी जो सिर्फ और सिर्फ देश के उन लोगों से देश को बख्श देने और अमन चैन बहाल करने एकता बनाए रखने की अपील कर रहा है जो अमन चैन को खो देना चाहते हैं देश को धर्म और ज़ात के आड़ में अपनी राजनीति के आग को जलाए रखना चाहते हैं अपनी भला के लिए किसी का परवाह नहीं करते किसी भी गरीब के खून को पानी से भी सस्ता समझते हैं.
अगर आज हम ऐसे सच्चे प्रेमी देशभग्त रजनीश से कुछ सबक लें और उनकी मदद करें और उनके कदम से कदम मिला कर चलें तो उनकी हौसला अफजाई और देश का भला भी होगा इस तरह हम एक नए भारत को इस तरह निखार सकते हैं जैसे के हमारे महापरुषों ने अपने देश के प्रति सपना देखा था क्युनके अमन चैन एकता में ही इज्ज़त और तरक्की छिपी होती है हम क्यूँ नहीं उस जवान के तरह अपने दिल को भी देश के प्रेम से सजा लें और हम भी सदा खुश रहें और सबको खुश रखें .
दर हकीक़त रजनीश ही देश का वो सिपाही है जो देश के लिए एक दीप जलाया है वो भी ऐसे वक़्त में जब के हर तरफ नफरत जलन खुदगर्जी लूट खसोट की तेज़ आंधी चल रही है अब हमारा भी यही फ़र्ज़ है के इस दीप में इतना तेल डाल दें के ये दीप और तेज़ जले कभी बुझने नहीं पाए इसी में हम सब की भलाई और कामयाबी है.
उमीद करता हूँ इस रजनीश के सन्देश को हर भारतीय अपने सीने से लगा कर दिल में बसाएगा और दूसरों तक भी पहुंचा कर रजनीश के हिम्मत और इरादे को एक ताक़त देगा जिस से वो पुरे देश को ये पैगाम दे सके के हम एक हैं हमें मत छेड़ो हमें तुम नहीं तोड़ सकते हमे तुम नहीं बिखार सकते हम वो देश भग्त हैं जिन्हें दुनिया इज्ज़त की नेगाह से देखती है अब हमारा हौसला भी बुलंद है हम एक हो चुके हैं .
मैं फिर रजनीश के इरादे को और देश भगती को सलाम करता हूँ .
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