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बहुत ही अजीब बात है ये जनता है और उस से कम मीडिया भी नहीं जनता जब जिसे जहाँ चाहे कुर्सी मान सम्मान दे दे और जब चाहे उसे इस तरह निकल दे जैसे के पहले उसे कोई जानता ही नहीं था ये पब्लिक है सब जानती है मगर ,
पब्लिक बहुत ही भोली है
पब्लिक बहुत ही जज्बाती है
पब्लिक अन्धविश्वास में नंबर वन है
पब्लिक अच्छा बुरा कम सोचती है
पब्लिक प्रचार और शोहरत बहुत देखती है
पब्लिक का अपना सूझ बुझ बहुत ही कम है
वजह ?
पब्लिक के पास तालीम की कमी है
पब्लिक को राजनेताओं ने तालीम हासिल करने का समय ही नहीं दिया
पब्लिक को अपना मोहरा बना कर रखा
पब्लिक के कंधे पर बन्दूक रख कर घोडा दबाया
पब्लिक बहुत ही फ्री और बेकार है
पब्लिक को एक वक़्त की रोटी चाहिए चाहे जहाँ से मिले
पब्लिक के साथ मीडिया को भी समाचार चाहिए
पब्लिक वो सब कुछ भूल जाती है जो कुछ उसके साथ कल हुआ
आखिर क्यूँ .
पब्लिक आज बहुत ही शोर कर रही है के मोदी बहुत अच्छे हैं भाजपा को उस बुलंदी तक ले जायेंगे जहाँ कोई नहीं जा पायेगा आज अटल जी अडवानी जी भी बहुत छोटे नज़र आ रहे हैं उनके समर्थकों के नज़र में.
देशप्रेमी, लोकप्रिय , देश का चाहिता किसे कहते हैं कौन है वो जो देश का भला चाहता है देश के सभी देशवासियों के दिल में रहने वाला कौन है क्या वो है जो सिर्फ एक ही धर्म का प्रचार व प्रसार करे एक धर्म को लेकर देश में विवाद पैदा करे देश को धर्म के नाम पर बांटे ( चाहे जो हो किसी का नाम मैं नहीं लेता ) या
वो जो देश हित में है देश के लोगों को धर्म के नाम पर नहीं बांटता धर्म के नाम पर लोगों के खून से होली नहीं खेलता कौन है वो जो हमारा सही लीडर बने मोदी क्या पहले खुद को क्यूँ नहीं देखते के उन्हों न देश के लोगों के साथ कौन सा व्यवहार किया किस से प्रेम किया किसको कितना स्नेह दिया साधू संत से शुरू होकर देश की गद्दी का चाहत रखने वाला दौलत व शोहरत के लिए कुछ भी करने वाला देश का प्रेमी कैसे हो सकता है सब से पहले जितने भी साधू हैं संत हैं वो एक अलग से अपनी खास पार्टी क्यूँ नहीं बना लेते सब एक जगह क्यूँ नहीं होते मिक्स होकर सबकी ज़िन्दगी से क्यूँ खेलते हैं मोदी जी का भी सुरुवात साधू से ही हुआ .
पता है प्रेम का मानी कौन जनता है :
जिसने किसी से प्रेम की नज़र से देखा ही नहीं उसे प्रेम का मतलब क्या मालूम आज अगर मेरे पास परिवार नहीं पत्नी नहीं बेटा नहीं बेटी नहीं तो हम क्या जानते के किसी बेटी या बेटे या पत्नी का दर्द क्या होता है धर्म का सही पालन वही करता है जो समाज में रह कर अपने घर में एक परिवार के साथ रह कर उनकी परिशानियों को हल कर कर उनको हलाल और सव्क्छ खाना खिला कर सबको खुश रख कर फिर देश हित में काम करे तो उसे देश के बेटे या बेटी या देश वासियों के पत्नियों का दर्द का पता होगा दुःख मालूम होगा जो अपने घर में आजाद है किसी तरह की ज़िम्मेदारी नहीं कोई बंदिश नहीं कोई पाबन्दी नहीं घर में कौन आया गया किसने क्या खाया क्या किया फिर वो देश के एक अरब से ज़यादह परिवार का दर्द दुःख सुख का उसको क्या अंदाज़ा, उसके लिए है के वो किसी आश्रम को पकड़ ले और सिर्फ मालिक का नाम ले इश्वर को जपे उसकी दया और उसके प्रेम में मगन रहे उस से देश की सलामती और देश की उन्नति और अपने पार लगने का प्रार्थना करता रहे क्युनके हर आदमी एक एक काम के लिए खास ट्रेनिंग करता है जैसे
विधायेक वो अभी संसद में नहीं जा सकता
हिसाब का टीचर इंग्लिश नहीं पढ़ा सकता
डॉक्टर इंजिनियर का काम नहीं कर सकता
रिक्शा चालक बस नहीं चला सकता
यानी के जो जिस लाइन को चुन लिया जिसका प्रमाण पत्र मिल गया वही है वही करेगा जब तक वो अपना कार्य शैली बदलता नहीं किसी से परमं पत्र नहीं लेता वो वही रहेगा .
ठीक उसी तरह आज हर साधू हर मुल्ला हर योगी यही चाहता है के किसी न किसी पार्टी को हवा देकर उल्लू सीधा करे और समाज को नष्ट करे क्यूँ के उसका उसे अभ्यास नहीं वो सिर्फ अपना उल्लू सीधा करना चाहता है किसी की मजबूरी किसी की परिशानी से आज किसी भी नेता या लीडर को कोई मतलब नहीं सच यही है के मोदी हों या अडवानी या मनमोहन या के मुलायेम सभी अपने ही स्वार्थ के लिए जी रहे हैं सब ने कुर्सी हासिल की है सभी कुर्सी पर बैठ चुके हैं या बैठे हैं आज बाज़ार चुनाव का गर्म है हर गली मोहल्ला गुलज़ार है सभी के ज़बान पर चाचा भैया है आज सभी अपने सवार्थ में बे चैन हैं मगर किसी के पास कल समय नहीं होगा कल कोई भी नज़र आने वाला नहीं आज हम बेवकूफ बनाये जा रहे हैं .
मगर आज हमें सोच समझ कर अपने मत का पर्योग करना होगा हमारी सरकार आज जो भी है उसे भी एक कानून बनाना चाहिए के जिस तरह हर पोस्ट बिना ट्रेंड को नहीं दिया जाता बिना परमं पत्र के नाह दिया जाता आज बिधायेक या सांसद का टिकेट भी हर आदमी को नहीं दिया जाए जिसका बेक ग्राउंड सही नहीं हो जो समाज को तोड़ता हो समाज का सेवा का अनुभव नहीं रखता हो सरकार इस चीज़ की छान बिन करे इसके लिए निर्वाचन आयोग एक टीम बनाये के जब तक किसी के बारे में पूरी जानकारी हासिल नहीं होती उसे टिकेट नहीं दिया जाए उसका नॉमिनेशन नहीं हो .
अब बात आती है जनाब मोदी साहेब की तो इनका भी वो ज़माना सभी को याद होना चाहिए जो इन्हों ने किया आज बहुत ही तारीफ का पुल बंधा जा रहा है मालिक करे के ऐसा ही हो मगर .
किसी ने कहा है के सिग्नेचर और नेचर नहीं बदलता सोहबत और आदत को कोई नहीं बदल सकता बिच्छु के साथ जितना भी भलाई कर लें वो डंक मरना नहीं छोड़ सकता यानी के जिसको भी जिस चीज़ की आदत लग गयी हो वो बदल नहीं सकता .
आज हमारे सामने देश का भविष्य और देश की एकता और सभ्यता सामने है हमें सब कुछ सोच कर फैसला करना है के हमारा दोस्त कौन देश का सपूत कौन देश के लिए अपना सब कुछ निछावर करने वाला कौन हम सबको एक अच्छे भारत को सवर्ग बनाने वाला कौन कौन है जो अपनी दौलत से गरीबों की मदद करता है चुने जाने के बाद भी गरीबों को अपना समय देता है एक बार जाने के बाद दूसरी दफा सिर्फ मांगने ही आता है देने कभी नहीं आता .
अगर देश को यकीन है के जनाब मोदी के हाथ एक जादू की छड़ी है जो उस से भारत को सही कर सकते हैं जिसको आज तक जवाहरलाल नेहरु, इंद्रा गाँधी , राजीव गाँधी , अटल बिहारी , चन्द्र शेखर , मनमोहन सिंह और भी बहुत जो आज तक बेकार साबित हुए शयेद सब से ज़यादह हुनर और तजुर्बा मोदी में है तो ठीक है देश भरोसा करे राम ही जाने किस पार लगेगी नय्या अगर ऐसा नहीं हुआ तो कौन है ज़िम्मेदार कोई है जवाब दे के भाजपा लिख कर दे हम हैं अगर देश में अशांति फैली दंगे हुए या कोई भी ऐसा हुआ जो देश के लिए खतरा है एकता टूटते नज़र आने लगे तो कौन कहेगा के हम हैं जनाब कोई नहीं यहाँ तक के मिस्टर मनमोहन साहेब भी नहीं तो फिर कयुन ऐसा खेल हो रहा है भारत में क्यूँ नहीं पाबंद करता पार्लियामेंट क्यूँ मजबूर नहीं करता संबिधान ऐसे लोगों को क्यूँ दिया जाता है मौका ऐसे राज नेताओं को जो फिर दोबारा आयें और देश को इस तरह लूटें के जिस्म पर एक तार भी नहीं बचे देश की जग हसाई क्या चीज़ होती है इनको क्या पता उनसे कोई पूछे जो गरीब अपनी रोज़ी के लिए किसी दुसरे देश में रहता हो दुनिया सभी देशों में जो गरीब अपनी रोज़ी रोटी के लिए गए हुए हैं उनको किस नज़र से देखा जाता है उनकी क्या इज्ज़त होती है कितने ताने दिए जाते हैं इन राज नेताओं को कुछ नहीं पता ये सिर्फ देश को खोखला करना अपनी कुर्सी बचाए रखना अपने स्वार्थ में जीना ही इनका असल काम है .
मैं अपील करूँगा उन देश वासियों से के इस बार अपने मत का सही पर्योग करें एक वक़्त की रोटी एक बोतल शराब चंद रोज़ की रोटी या वक्ती आराम के लिए अपने वोट का गलत इस्तेमाल नहीं करें इस से देश का संतुलन बिगड़ सकता है आज़ादी छीन सकती है हम दोबारा गुलाम हो सकते हैं अगर ऐसा हमने नहीं सोचा तो फिर हमें कोई हक नहीं के कल रोड पर निकल कर इन्ही को गली दें जिन्हें हमने ही भेजा है ये हमारी ही गलती है किसी और की नहीं क्युनके इन्हें हम ही ये पावर देते हैं फिर इनके गुलाम बनते हैं .
बहुत बहुत शुक्रिया अगर आप मेरी मदद करें सिर्फ मेरी सलाह अगर सही हो तो औरों तक पहुंचा कर अगर गलत है तो मेरी भी मदद करें मुझे सही सुझाव देकर.
धन्यवाद ..
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