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काफी दिनों से बहस चल रही है जो अभी तक पूरी नहीं हो सकी और पूरी हो भी नहीं सकती क्युनके ये बहस ही अजीब है और अगर ठिक से देखा जाए तो आज तक जिसने भी लिखा जो भी लिखा वो या तो सिर्फ मुकाबला के लिए या लोगों को लिखते देख कर अपने को भी किसी स्थान पर पहुँचाने के लिए या तो फिर कुछ करके लोगों की सहानभूति प्राप्त करने हेतु लिखा जा रहा है इस लिए के किसी ने भी भी शुद्ध हिंदी सब्द का पर्योग अभी तक नहीं किया सभी के लेख में या तो उर्दू फारसी इंग्लिश संस्कृत के शब्द पाए जाते हैं यदि हम सभी शुद्ध हिंदी का पर्योग करें और सभी को हिंदी के लिए उत्साहित करें अपने घरों में भी हिंदी और शुद्ध हिंदी बोलें तो लगता है के हिंदी का सही प्रचार व प्रसार होगा आज लेखागार या नयायालय में भी उर्दू भाषा का ही प्रयोग होता है इस लिए हम चाहें तो अपने मातृभाषा हिंदी को भी वही सम्मान दें उसी तरह जिस तरह हम इंग्लिश बोलने में अपनी मान समझते हैं यही बिडम्बना है के हम लिखते हैं या बोलते हैं मगर मजबूरी से ज़यादह शौक़ से कम उस दिन जाकर हमारा और हमारे देश का सम्मान और भी बढ़ जाएगा जब हम दुनिया के अनगिनत और प्रसिद्ध भाषाओँ की तरह हमारी भाषा हिंदी भी गाँव बाज़ार और छोटे छोटे लोगों के ज़बान से होते हुए उन गरीबों का मान सम्मान बढ़ाते हुए शहर को अपने बस में करते हुए उन तमाम दिलों को जित ले जिन दिलों में दुनिया की पराई ज़बाने कब्ज़ा कर बैठी हैं उनके ज़बान को शुद्ध और दिलों को उत्साहित करते हुए अपनी प्रसिध्ता को बहाल करते हुए उन महानग्रियों तक का सफ़र कर ले जहाँ विष्व के कोने कोने से रंग बिरंगी भाषाओ का संगम लिए हुए अपनी अपनी भाषाओँ पर इतराते हुए हमारे देश में ही हम पर अप्नेभाषाओं का रॉब जमाते हुए आगे निकलने की कोशिश करते हैं तब हमारी भाषा भी अपनी मिठास से भरी आवाज़ और हर एक को सम्मान व आदर करती हुई सबके दिलों पर हकुमत करते हुए छोटे बड़े सबको अपने पद को दर्शाते हुए हमारे महानाग्रियों पर छा जायेगी हर एक के ज़बान पर केवल हिंदी ही हिंदी राज करने लगे तब हम ये यकीन कर सकते हैं के अब हिंदी अपनी सही स्थान के दिशा में निकल चुकी है और अब वो दिन दूर नहीं के दुनिया भी जब भारत में क़दम रखे तो उसे भी एहसास हो के हमें भी हिंदी को सिख कर ही भारत जाना चाहिए और सही में हिंदी बोलने से सबको ख़ुशी होती है और इस भाषा में सबका मान सम्मान छुपा हुआ है जो किसी और भाषा में वो खूबी नहीं .
जिस तरह इंग्लिश में कोई मिलावट नहीं करता अगर हम भी शुद्ध हिंदी का पर्योग करें तो बहुत ही सुन्दर और नयारा समां बनेगा जो लोग हिंदी को दिल से सवीकार नहीं करते उन्हें भी एक दिन हिंदी पर गर्व होगा और हिंदी को अपना कर बहुत ही प्रसन्न होना चाहेंगे.
आज तक जिन लोगों ने हिंदी को एक कांटेस्ट के नाम पर या प्रतियोगता में भाग लेने के नियत से जिन लोगों को हिंदी को सराहा और मान बढाया उन सभी देश वासियों से बिनती है के आगे भी इस अपनी प्यारी भाषा को याद रखें और इसे बढ़ावा दें ताके ये लहर धीरे न हो और ज़यादह से ज़यादह लोगों के दिल की धड़कन बने सभी के दिलों को छू जाए पुरे भारत में अपनी कामयाबी और मोहब्बत का झंडा लगा दे जिस से हमारे देश का भारत का सम्मान हो और हिंदी ही उसकी पहचान हो हिंदी ही जान हो पुरे विश्व में इसका एक अलग मुकाम हो .
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