Menu
blogid : 4773 postid : 617180

इंसान ?

Great India
Great India
  • 107 Posts
  • 253 Comments

क्यूँ हंसी आती हमें है हजरते इंसान पर : फेले बाद तो खुद करे लानत दे शैतान पर

अगर हम एक बहुत ही खास और ज़रूरी विषय पर खुद को सोचने पर मजबूर करें और बहुत ही गहराई से अपने आत्मा से सवाल करें और खुद के बारे में जानना चाहें के क्या हम इंसान हैं ? तो हमें पता नहीं के क्या उत्तर मिलेगा और हम किस तरह अपने आपको साबित करेंगे के हम इंसान भी हैं क्यूँ के बहुत ही सोच फिकर के बाद एक सवाल उठता है के क्या हर मनुष्य इंसान है ? मगर हर इंसान मनुष्य है .
तो पता चला के मनुष्य एक समूहवाचक है जिस से एक मनुष्य के समूह और जमात के बारे में पता चला जितने भी लोग बाबा आदम के सूरत और ढांचे के तरह नज़र आते हैं वो सब मनुष्य यानी के आदमी हैं मगर उनमे अलग अलग तरह के लोग होते गए और उनके कर्तब्य के अनुसार वो जाने और पहचाने जाने लगे और जो जैसा किया दुनिया और समाज ने उसे उसी नाम से पुकारा और मनुष्य अपने स्थान को और अपने भविष्य को उज्जवल करते गया और भिन्न प्रकार के गुड़ सिख कर उसी में से कुछ या एक गुड़ के कारण वो परचलित हो गया जैसे :

मनुष्य + बाप , भाई , चचा , दादा , पडोसी , डाक्टर , मास्टर , मुखिया , नेता , मंत्री , इत्त्यादी . मगर इन सब में सब के सब
इंसान नहीं होते इंसानियत नहीं पायी जाती इंसानियत से बिलकुल दूर होते हैं मगर मनुष्य हैं .

मनुष्य + चोर , लुटेरा , घोटालेबाज , पापी , निर्दयी , नास्तिक , इत्त्यादी इन में तो इंसानियत की बू तक नहीं होती मगर
मनुष्य हैं जिन पर ये बातें ज़ाहिर नहीं होती वो इनको भी इंसान समझते हैं
आखिर इंसानियत कौन सी चीज़ है इंसानियत कहते किसे हैं शाएद ये बताने की ज़रुरत नहीं क्यूँ के हम इतने होशियार तो ज़रूर हैं के इंसानियत को जानते हैं मगर शायद पहचानते नहीं हैं क्यूँ के हम जानते बहुत कुछ हैं मगर पहचानते बहुत कम को हैं इस लिए के हमने उसके बारे में सुना तो है मगर देखा नहीं और पहचान जभी होती है के जब देख लिया जाए तो ठीक उसी तरह हम आज अपने ज़मीर से आत्मा से पूछें के हम इंसान हैं के नहीं हमारे अन्दर इंसानियत है के नहीं अगर है तो अच्छी बात है अगर नहीं है तो क्यूँ नहीं बनते इंसान इसकी वजह क्या है आखिर इंसान बनने में नुक्सान क्या है इंसान नहीं बनने में फायेदा क्या है तो मैं चाहूँगा के देखूं तुलना करूँ के आखिर दोनों में से हमको फायेदा किस्मे है तुलना से पहले हम ज़रा गौर करें अपने आत्मा से पूछें के इंसानियत होती क्या है आखिर किसको कहते हैं इंसानियत .
इंसानियत हर एक से प्रेम करने को कहते हैं
इंसानियत हर एक से हमदर्दी और मेल मिलाप रखने को कहते है
इंसानियत किसी के हक को बचा कर उस तक पहुँचाने को कहते हैं
इंसानियत किसी के मुसीबत में काम आने को कहते हैं
इंसानियत सबका आदर और सम्मान करने को कहते हैं
इंसानियत अगर किसी भी मनुष्य को चोट लगे तो दर्द का एहसास हमें भी हो तो इंसानियत कहते हैं
यानी के हम से किसी भी जीव जंतु या मनुष्य को तकलीफ नहीं हो जान कर उसे इंसानियत कहते हैं
अब हम ज़रा तुलना भी कर के देखें दोनों में :

इंसानियत से
हम जिस से प्यार करते हैं वो भी प्यार करता है अगर वो न करे तो हम अच्छे वो बुरा .
हम जिसकी मदद करते हैं वो भी समय आने पर मेरी मदद करता है अगर वो न करे तो हम अच्छे वो बुरा
हम जिसके माल और हक को बचाते हैं वो भी बचाता है मेरा
हमारी दौलत बहुत ही धीरे धीरे बढती है और उसमे बरकत होती है
हमारे बच्चे पुन्य के दाना से अपने शारीर में लहू बनाते हैं
हम सबका प्यार पाते हैं और इश्वर भी प्यार करता है
माँ बाप की आशीर्वाद हमारे साथ होती है
सबसे बड़ी बात है के जब हम दुनिया से जाते हैं तो दुनिया मेरे प्यार और मोहब्बत और भाई चरगी पर आंसू बहती है
इंसानियत पर कायेम रहने वाले को हमेशा इश्वर भी अपनी याद में रखता है
क्यूँ के इंसानियत में सिर्फ भलाई ही भलाई है इस में बुराई का कहीं से भी गुज़र ही नहीं अगर एक पल के लिए बुराई आ भी गयी तो खुद हमारा उसे हमसे दूर कर देता है .
हम इंसानियत के वजह से मान सम्मान आदर और इश्वर के भगत और दुनिया में उचतम स्थान भी पा लेते हैं यानि के फायेदा ही फायेदा है .

अगर इंसानियत नहीं तो :
चोर जिसका ठिकाना जेल होता है हमारे बच्चे पाप के दाना से वो भी पापी ही होंगे
किसी का हक खाते हैं तो उसके दिल से निकला हुआ आह आग बन कर बरसता है
इंसानियत से बहुत दूर हो गए तो समाज और परिवार के साथ साथ देश के नज़रों से भी गिर गए
लोगों ने डर से सलाम तो किया मगर दिल से आह
रातों रात दौलत तो जमा कर लिया मगर हमेशा खौफ और दहशत में ज़िन्दगी गुज़रती है एक दिन इज्ज़त खाक में मिल जाती है नहीं दौलत रही नहीं इज्ज़त . यानि जो कुछ भी पाया सब कुछ खो दिया .
हम ज़ालिम बने लूटेरे बने सफेदपोश डॉन बने स्मोग्लर बने मगर जब पकडे गए तो सारी दुनिया ने परिवार और आनेवाली नसल को भी माफ़ नहीं करने का कसम खा लिया .

पता ये चला के हम अगर मनुष्य हैं तो इंसान भी बनना ज़रूरी है और इंसानियत में ही वो सब कुछ है जो हमारी ज़िन्दगी को एक अच्छी ज़िन्दगी समाज में इज्ज़त दौलत में बरकत हर किसी से आशीर्वाद और सबसे प्रेम मिल सकता है और हम जब इंसान बन जायेंगे तो हमारी नसल भी हमारी संतान भी शायद हमारे साथ भला करे .

जो रहीम उत्तम प्रकृति का करी सकत कुसंग : चन्दन विषय व्यापत नहीं लपटे रहत भुजंग

आशा करता हूँ के आप सब हमें भी इंसानियत के राह पर चलने और देश के तमाम लालों के प्रति प्रेम और हर बेसहारे का सहारा बनने और नफरत के दीवार को गिरा कर माता पिता के चरणों में शीश नवाकर उनकी सेवा करने के लिए इश्वर से प्रार्थना करेंगे के हमारा भविष्य भी महान और इश्वर के दुलारों के कुछ कृपा के काबिल हो जाए .

धन्यवाद .

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh