- 107 Posts
- 253 Comments
दिल में आता है के बहुत कुछ लिखूं वो लिखूं जो सिने में उबल रहा है वो लिखूं जो आँखों में घूम रहा है या वो लिखूं जिस से दिल तड़प रहा है क्यों लिखूं किसके लिए लिखूं कौन है जो सुनेगा कौन है जो समझेगा किसे अच्छा लिखूं किसे बुरा लिखूं किसे अन्धविश्वासी लिखूं किसे धर्मी लिखूं किसे अधर्मी किसे कातिल लिखूं किसे आतंकवादी लिखूं जिसने बहुत सताया दिल को बहुत रुलाया उसे क्या लिखूं भारत का सपूत लिखूं या कपूत लिखूं जो दौलत के नशे में चूर है हद से ज़यादह मगरूर है ताक़त से भरपूर है गरीबों के पहुँच से बहुत दूर है मगर एक दिन झोंपड़ी में आने पर मजबूर है ऐसे नेता को क्या लिखूं धर्म और साधना अल्लाह इश्वर देवी देवता के नाम पर जिसका फलता फूलता ब्य्पार है मजबूरों कमजोरों हालात के मारों मासूमों के लिए बना हुआ खूंखार है ऐसे संत , पंडित , मौलवी ,साधू , को क्या लिखूं जो भी लिखूं शायद ये बेकार है क्यों के हम सबके दिलों पर इन्ही का अधिकार है वो इस लिए के हमारे अन्धविश्वाश , लालच , खुदगर्जी , बेकारी , बेरोज़गारी , गरीबी , बाँझपन , बीमारी और तकलीफें बहुत सारी जिस से किसी नेता किसी संत या साधू या मुखिया का कोई सरोकार है इन्ही सब बातों से हमारे आँखों पर अन्धकार है हम वो नही करते जो दिल कहता है वही करते हैं जो लोग कहते हैं जो लोग बताते हैं इस लिए के हम धर्म की किताबों से अच्छी बातों से ग्रन्थ और गीता से कुरान और हदीस से अपने पुरखों के कहावत से हलाल हराम की हकीक़त से महाप्रुष और राष्ट्रपिता के आदर्शों से दिल को नहीं सजाते दिल को नहीं लगते दिल कहता है मगर टाल जाते हैं वो इस लिए के हमें जल्दी है शौक़ है ऊँचा महल बनाने बहुत जल्दी है सबसे आगे निकल जाने का सबको कुचल कर ही सही अपनी ऊँची अटारी बनाने का हमें प्यार नहीं अपनी इज्जत से हमें परवाह नहीं अपने घर की इज्ज़त नीलाम होने हमें डर नहीं हमारे मुजरिम साबित होने पर अपने और बेटा बेटी बीवी माँ बाप भाई बहन को दुनिया सामने सर झुकाने का क्या लिखूं ये सब दर्द है जो ज़माने का अपनों के खो जाने का देश गांव घर की इज्ज़त लुट जाने का अपने जिगर को चाक हो जाने का अरे भाई क्यों नहीं मलाल होता हम सबको एक गरीब को भूखे मर जाने का क्यों नहीं एहसास होता किसी के भूखे सो जाने क्यों नहीं रुकता बंदरबांट हम गरीबों के खजाने का कब रुकेगा हम सब को धर्म ज़ात के नाम पर काम जिंदा जलाने का क्यों नहीं खुलती हमारी आँख क्यों नहीं होते हम देश के वफादार क्यों नहीं करते हम सब अपनी मिटटी से प्यार क्या हम होते रहेंगे ऐसे ही शर्मसार नहीं लिखेंगे हम फिर अपनी तकदीर लिखेंगे हम फिर एक नया इतिहास करेंगे सबको बेदार होंगे सब हुशियार होगी एक दिन एक नयी ललकार हो जाएँ अब सभी अधर्मी भ्रष्टचारी , पापी बलात्कारी , और भारत का हर वो कर्मचारी जिसके पास नहीं है ज़रा भी ईमानदारी सब छोड़ दें अब आदत विनाशकारी हो जाएँ खबरदार होशियार .
दोस्तों अगर हम और आप चाहें तो भारत को संवार सकते हैं अपनी तकदीर बदल सकते हैं देश को एक नयी उडान पर ले जासकते हैं इन तमाम काले धब्बे को मिटा सकते हैं हम हो सकते हैं कामयाब देश को सजाने में अपने देश की गरिमा बचाने में गरीबों यतीमो मजबूरों बे सहारों की सेवा करने उन्हें हर तरह की सहायता देने का अगर हम कसम खा लें सिर्फ अपने पडोसी पर ही नज़र कर दें किसी गिरते हुए को थाम लें तो हम एक एक करके एक न एक दिन देश का नाम सुनहरे हर्फ़ से ज़रूर लिख देंगे और इन पापियों को इन देश के लुटेरे राजनेताओं की दौलत जो चुरायी हुयी है हम से लुटी हुयी है वो भी वापस ले सकते हैं शर्त ये है के हम पहले इंसान बन जाएँ एक हो जाएँ एक दुसरे के हमदर्द बन जाएँ फिर कुछ भी लिखने या कहने या दुखड़ा लिखने की नौबत नहीं आएगी हाँ लिखेंगे पढेंगे मगर नयी दास्तान नयी कहानी इन पापियों के कारनामे .
अगर आप मुझे अपना आशीर्वाद दें तो यूँ ही आपके साथ चलता रहूँगा तब तक जब तक है मेरी जान करता रहूँ देश की सेवा होता रहूँ चूर जब जब मेरे कानो में एक गरीब की आह की आवाज़ आये जिंदा रहे दिल जब तक बदल न जाए हमारे देश का दिन आवाज़ होती रहे बुलंद जब तक गरीब चैन से नहीं सोता बेटी बहने निडर और बिना भय के घर से बाहर निकलना शुरू नहीं कर देती.
धन्यवाद
Read Comments