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क्या खूब सजी है नेताओं की मंडी
जो थे कल गरीबों के लिए घमंडी
आज कोई ज़रा देखे तो सभी को
आज सभी हिला रहे हैं प्यार की झंडी
हम सच्चे हम अच्छे हम नहीं झूठे
हर तरफ फैला हुआ यही नारा है
खुद को महान सबको अधीन ये बताते हैं
हर एक दुसरे का सारा पाप गिनाते हैं
कुर्सी पर कल क्या किया था इन लोगों ने
ये सब जनता से कैसे भी भूलवाते हैं
आई ज़रुरत तो फिर बेवकूफ बनाते हैं
हद तो ये है मेरे भाई नारा हम ही से लगवाते हैं
कौन बिकेगा कितने में ये बोली लगाते हैं
नहीं बिक सका कोई तो गोली चलवाते हैं
धन दौलत बम बारूद का का ज़खीरा है
कहाँ जाओगे घर में रख कर पुलिस भी बुलवाते हैं
खुनी पापी हत्यारे सब इस दंगल में आ जाते हैं
जहाँ से मिली जितनी दौलत उतनी राग सुनाते हैं
जबसे गए जित कर पांच साल तक सोते हैं
क्यों के हम तो इनके बंधुआ वोटर होते हैं
ज़ात पात धर्म सब राजनीती में चलता है
ये दंगल है भाई यहाँ सब दाव सही होते हैं
काफी गाड़ी काफी जनता भीड़ खूब जुटाते हैं
जिसको देखो वही अपना सपना खूब सजाते हैं
जो कुछ आये भासड में सब कुछ बोल जाते हैं
जब उतरे वो मंच से कहते खूब बेवकूफ बनाते हैं
नेताओं की मंडी है अभी वोट की बहुत मंदी है
देश की इज्ज़त लुटवाते हैं निति इनकी गन्दी है
अपनी करनी अपनी आदत हमसे ये भूलवाते हैं
दे दो अब आखरी मौका वादा फिर कर जाते हैं
बाहर से भोलापन और सबसे बहुत हमदर्दी है
नदी नाला पुल सड़क घर भी हम बनवा देंगे
मौका दो सब पापियों को जेल में भेजवा देंगे
सुन्दर शहर प्यारा पार्क अच्छा भारत हम बना देंगे
सारे वादे हम करते हैं हमारी नियत नहीं गन्दी है
सोच लो भैया निति का दंगल है नेताओं की मंडी है
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