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कितना बदल गया इंसान

Great India
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हर इंसान खुद को अकल्मन्द और वफादार कहता है किसी को ये कबूल नहीं के उसे कोई भी गलत कहे या उस पर इलज़ाम लगाए क्यों के हर इंसान खुद को पाक साफ़ और बुद्धि मान समझता है और ये हमारे देश के कानून का देन है हमारे आज़ादी का एहसान है के हर इंसान को हक़ है के किसी भी राजनेता या मामूली इंसान को जो दिल में आये कह दे कल यही इंसान आदर सम्मान लेहाज़ और सूझ बुझ से काम लेता था मगर आज हर तरफ से इन्साफ उठ रहा है शर्म अदब मान सम्मान सब कुछ मिट रहा है एक आम इंसान जो अपने घर को नहीं सम्भाल सकता अपने रूठे हुए भाई को नहीं मन सकता माँ बाप को सम्मान नहीं दे सकता घर गांव पड़ोस देश का हक़ नहीं अदा कर सकता न तो धार्मिक किताबों से कुछ सिखा नहीं तो अच्छे समाज में बैठ कर कुछ हासिल करने कि कोशिश कि जो दिल में किसी भाई कि मदद करने का जज़बा नहीं रखता किसी से हमदर्दी नहीं करता वो उस हद तक ज़बान खोलता है जहाँ उसे पहले सीखना चाहिए अपनी बात को तौलना चाहिए जबके हम किसी ऐसे आदमी के बारे में बोलें जिसे देश या गांव का ज़यादह हिस्सा बहुत ही पसंद करता हो क्यों के एहतराम और अदब बहुत बड़ी दौलत है .
आज हमारी जनता इतनी बेकरी से जूझ रही है के उसे भी कुछ ऐसा काम चाहिए जिस से उसका दिल बहले हक़ीक़त जो भी हो मगर हम आज इन समझ से बहुत दूर जा रहे हैं और नेता भी अपने मंच पर जो चाहें बोलते रहते हैं और आरोप को जन्म देते हैं और दूसरे के आरोप को इस तरह खूनच कर ब्यान करते हैं जैसे के उनके पास कुछ और जनता से कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं .
आज हर जगह हर तरफ आरोपों का बाज़ार गर्म है सभी नेता और जनता अपना अपना षड्यंत्र का जाल बिछा कर एक दूसरे के सच्चा झूठा ऐब और नाकामी के पीछे पड़े हुए हैं कोई खाना खिलाने का बखान करता है तो कोई धर्म का सहारा लेकर लोगो को उलटी सीधी बातो में बहला कर लाखों रुपैये से बना हुआ मंच और काफी म्हणत से जुटाई भीड़ का समय सिर्फ फालतू बातो में गुज़ार कर सबके समय को नष्ट करके चले जाते हैं किसी को भी न तो कोई ठोस मुद्दा समझ में आता है नहीं तो कोई मक़सद हाँ एक ही मक़सद सबका है आज कल के ज़यादह से ज़यादह भीड़ जमा करो ताके आने वाले बड़े गुर्गा को लगे के हमारी मांग है और हमको लोग देखना चाहते हैं और सब वोट हमारा ही है बाक़ी लोगो का बैलेट पेपर खली ही जाने वाला है हाय रे बेवक़ूफ़ी और अँधा विश्वास .
वैसे सहारा समय को भी समझ में आता है के उसी के तरफ रहना चाहिए जिसके तरफ भीड़ ज़यादह है वैसे कौन कैसा है सभी का आत्मा और दिल जानता है कोई भी ये नहीं कह सकता के मैं कैसा हूँ मुझे मालूम नहीं जिसका ज़मीर ज़िंदा है ईमान ज़िंदा है यक़ीन पूरा है समाज को मानता है और अच्छे बुरे को जनता है वो खुद ये भी जनता है के स्वर्गीय है या नर्कीय पापी है या पुण्यकारी .
मिस्टर नरेंद्र मोदी हों या अडवाणी या राहुल या मनमोहन सबकी असलियत दुनिया जानती है हमारा काम है के हैम अपने देश और घर कि सलामती के लिए क्या करना चाहिए सभी को जल्दी है दौलत के राज सिंहासन पर बैठने कि चाहे वो जैसे हासिल हो आज भी हर सभा में हज़ारो लोग बिक रहे हैं और देश के लोगो को गुमराह कर रहे हैं अपनी रोटी सेंक रहे हैं अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं मैं आज भी यही सवाल करता हूँ के आखिर हैम क्यों नहीं बदल जाते हैं जबके पहले हम ऐसे नहीं थे हैम में एकता और प्यार था हमारी ताक़त अनोखी और अनूठी थी लोगों के लिए हम मिसाल थे हमसे ज़माना सीखता था आज हम खुद बदल गए हैं मगर एक बार फिर बदलने कि ज़रुरत है जिस से नया भारत नया घर नया माहौल और नए खेयाल के लीडर को जो नए ज़माने के साथ चल रहा है नए दौर को जनता है वही इंसान देश को एक सूत्र में बांध कर कुछ कर सकता है .

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