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२७ अक्टूबर का वो दिन जो हमें एक बहुत से सवालों में घेर गया बहुत सी सोच में डुबो दिया बहुत सी बातों को जन्म दे दिया जिन सवालात और बातो को ब्यान करना भी मुनासिब नहीं क्यों के आज कल लोगों कि आदत हो गयी है के बातो कि खाल इतना खींचते हैं के रबर बन जाता है आखिर क्यों नहीं खीचें ये राजनीति का दौर भी है और राजनीति उसी को कहते हैं के विपक्छ के एक एक गलती को इतना लम्बा खिंचा जाय के इस पार से उस पार तक चला जाय और आम जनता सोचे कम उलझे ज़यादह .
सबसे पहले तो ये सही है के जिन लोगों ने भी ऐसा किया और गरीब मासूमो का घर उजाड़ा जाने ली वो तो खैर हिन्दुस्तानी तो समझना भी पाप है और वो तो बिलकुल इंसान हो ही नहीं सकते क्यों के ये इंसानियत है ही नहीं इस पाप के पापी को वो सजा मिले जो शायद देखने के बाद दूसरा इस नसल का ज़िन्दगी भर सोचे और अगर ऐसा ही करने का इरादा भी करे तो उसका दिल पहले वाले कि सजा को देख कर काँप उठे और उसे एहसास हो के अब हमें ऐसा नहीं करने में ही भलाई है .
अगर मेरी आवाज़ और ये शब्द उन जैसों के कानो से टकराती है या ये शब्द उनके नज़रो से गुज़रते हुए उनके दिल तक पहुँचती है तो मैं कहना चाहूंगा के अगर तुम ये समझ कर करते हो के भारत के लाल दर जायेंगे या बिखर जायेंगे या बहक जायेंगे तो सोचना गलत है क्यों के ये भारत उनकी भारत है जिन्हो ने अपने गोद में अपने भारत कि हिफाज़त के लिए अपने लालो को क़ुर्बान कर दिया है और आगे बढ़ कर भारत के दुश्मनो का मुक़ाबला किया है और हर धर्म के लोगो के साथ साथ इस्लाम धर्म ने भी यही सबक दिया है के अपने वतन कि हिफाज़त के लिए ज़रुरत पड़े तो सब कुछ लुटा दो सर कटा दो घर मिटा दो मगर अपने वतन कि हिफाज़त करो इस लिए अगर तुम खुद को मुजाहिद कहते हो तो बंद करो ये कहना क्यों के मुजाहिद उसे कहते है जो देश और धर्म के दुश्मनो से लड़े दुश्मनो से देश कि हिफाज़त करे गलत का मुक़ाबला करे अपने भाइयो कि हिफाज़त करे अपने वतन के लिए जान देने का जज़बा लेकर दुश्मनो से लड़े वो मुजाहिद है बात साफ़ है के जो हक़ीक़त में मुजाहिद होगा वो अपने देश के हर उस जान से हर उस प्राण से हर उस सम्पति से हर उस धरोहर से हर उस चीज़ से प्रेम करेगा हर उस कि हिफाज़त करेगा जो इस भारतवर्ष से जुडी हुयी है और इस भारत से मोहब्बत करती है इस्लाम अमन का पैगाम देता है नाहक़ और बेगुनाह लोगो कि जान लेने का हक़ नहीं देता इस्लाम मोहब्बत और एकता का हुक्म देता है नफरत का नहीं मुजाहिद वही है इस्लाम के नज़दीक जो अपने बुरे कर्तब्य और अपने उस आदत को मिटा दे जिस से किसी को तकलीफ होती है मुजाहिद उसे कहते हैं जो हर उस ज़ुल्म का जवाब दे जो उसके देश पर हो रहा हो यानि के देश और धर्म कि दोनों कि हिफाज़त के लिए जान दे लड़े वो मुजाहिद है वो योध्धा है वो बहादुर है वो देश और धर्म का सिपाही है वो नेक है वो जन्नती है वो धर्म का का पालन करने वाला है .
अब ये सवाल पैदा होता है के जो कुछ भी हुआ वो गलत हुआ देश के और भी हिस्से में होता रहा है मगर बिहार इस आग से महफूज़ था मगर आज पटना भी दागदार हो गया क्यों हुआ किसके वजह से हुआ ये सवाल ऐसे हैं जिसका जवाब अगर सरकार और ज़िम्मेदार लोग या राजनेता जिनको कुछ भी बोलने कि खुली आज़ादी मिली है वही दे सकता है .
मगर मैं पूछना चाहूंगा तमाम भारतवासियों के तरफ से उन लोगों से जो देश के ठीकेदार और देश के राजनेता हैं जिनको देश कि सम्पति लूटने और अपनी मर्ज़ी कि सरकार और कानून बना कर देश को अपने मर्ज़ी से चलाने का लाइसेंस मिल चूका है उन लोगों से के आतंकवादी क्या करता है कुछ बम फाड़ता है जिस से लोग मरते है बेगुनाहो कि मौते होती हैं यानि के जाने जाती हैं जो भी बम फाड़े वो आतंकवादी जो गोली या बंदूक या भूक या धर्म ज़ात कि लड़ाई में लोगों कि जान ले उसे क्या कहते हैं अगर किसी के हाथों किसी गरीब कि बेटी कि इज़ज़त का जान चला जाए उसे क्या कहते हैं कितने फसाद भागलपुर ,आजमगढ़ , बनारस , गुजरात , मुज़फ्फरनगर और भी बहुत ऐसी जगहों पर जिसके वजह से जाने गयीं उन लोगों को क्या नाम दिया गया कौन सी सजा मिली कितने केस दर्ज हुए कितने लोगों को फांसी या उम्रक़ैद हुआ कितने ज़िम्मेदार पकडे गए वैसे लोग आज भी बेज़ज़त सरे आम सफ़ेद लाल रंगीन कपडे गाडी बंगला में आज़ाद हैं और खुली साँसे ले रहे हैं क्यों नहीं चुस्त और सख्त होता है कानून क्यों नहीं मिलती हर गुनहगार को वक़्त से फ़ौरन सजा मैं अगर गलत नहीं हूँ तो इस्लाम धर्म में जो दर्ज है वो और अरब मुल्क के एक कानून को देखा जाए सऊदी अरब में एक कातिल कि सजा सरे आम चौराहे पर गर्दन उड़ा देना है एक बलात्कारी कि सजा सरे आम चौराहे पर इतना हंटर मरना है के जितना कोर्ट ने फिक्स किया है जुर्म के हिसाब से अगर एक कानून को भी भारत के किसी चौराहे पर लागु कर दिया जाय तो वो दिन दूर नहीं के एक गुनाह के बाद दूसरा वैसा ही गुनाह होने में काफी समय लग जाएगा .
मेरे दोस्तों ये सब कानून और नियम इस लिए बनाया गया है के लोग डरें मगर हमारी बदनसीबी है के हमारे देश में मंत्री से लेकर संत्री तक किसी को कानून का न तो डर है न तो सम्मान सभी घुस रिश्वत पर बहाल होते हैं और उन्हें अपने रिश्वत के पैसे निकलने कि जल्दी होती है जिसके वजह से ये सारे जुर्म होते हैं और महान भारत अपनी पहचान और इज़ज़त और अपनी ताक़त खोते जाता है मगर किसी को न तो प्यार अपने देश से है न तो अपनी नसल से न तो अपने कानून से प्यार है तो सिर्फ अपनी खुदगर्ज़ी से अपने पेट से अपने झूठे मान से और सम्मान से जो एक दिन जेल जाते हुए नज़र आये तो भी शायद इन बेशर्मो को शर्म नहीं आती के अब से भी देश से देश वासियो से मोहब्बत करें सबकी हिफाज़त करें के देश का हर बच्चा ये कसम खाये के हम सब देश के सिपाही हैं कोई आतंकवादी नहीं जिस इंसान के वजह से बेचैनी नफरत कि आग लगे कुछ लोगो कि जान जाए जो भी एक या अनेक लोगो के मौत का ज़िम्मेदार बने उसे आतंक ही कहा जाता है और उसे भी आतंकवादी ही समझा जाए और इन बातो को जो न समझ सके उस से मैं माफ़ी चाहूंगा मगर मैं चाहता हूँ के बच्चा हर जवान बुध जो हिंदुस्तानी है वो अपने सोच को अपनी नज़र को अपने दिल को अपने दिमाग को देश के लिए कम से कम रोज़ एक घंटा खर्च करे तो यक़ीनन ये सब खुद से ही कुछ हद तक सुधर जाएगा और एक नया भारत नज़र आने लगेगा .
आप सबका आशीर्वाद चाहूंगा .
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