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जनाब राजेश कुमार जी आपका कुछ सवाल मुझे हैरत में डाल दिया के आप भी वहीँ रुके हुए हैं जहाँ से दुनिया बहुत आगे निकल चुकी है ये समाज तालीम याफ्ता हो चूका है और बहुत ही हद तक बदल चुकी है क्या आप से पूछ सकता हूँ के आप वंदना का सही मानी बता सकते हैं वंदना किसकी होती है वंदना का हक़दार कौन है वंदना माँ कि नहीं होती है माँ का सेवा और उस से प्यार किया जाता है हैम सब उस मालिक के बन्दे हैं जिसने हैम सबको जन्म दिया है जिस पर सबका अधिकार है जो सबको पालने वाला है वही बंदगी के काबिल है बाक़ी दूसरे का हक़ प्यार मोहब्बत सेवा आदर और उसके हर अच्छाई और अच्छे हुक्म को बजाना है माँ भी उसी मालिक कि बंदगी करती है हैम भी उसी मालिक कि बंदगी करती है इस लिए बंदगी और प्यार में फ़र्क़ है जिस से हैम प्यार करते हैं ज़रूरी नहीं के सबकी बंदगी करें जिसकी बंदगी करते हैं उस से प्यार है ही मगर जिस से प्यार करते हैं हर उसकी बंदगी नहीं होती .
पूजा और बंदगी एक ही चीज़ है जो आपके यहाँ और मुस्लमान के धर्म में ज़रा सा बदलाव है इस लिए हम पहले जिस बदलाव के कारन अलग अलग धर्म के मानने वाले हैं तो अपने धर्म के असूलों को तो मान कर चलना ही होगा तभी धर्म का पालन हो सकता है अब अगर हैम धर्म के असूलों को तौलना और कौन कितना अच्छा कौन कितना बुरा या कौन धर्म कैसा है इस पर इस लेख से बहस नहीं कर सकते हाँ धर्म के ख़ास ख़ास गुण बताया जा सकता है जो आप मेरे ब्लॉग में पढ़ चुके होंगे इसी कारण ये धर्म का नाम चल रहा है अगर सब एक जैसे हो जाएँ तो बात ही ख़तम हो जायेगी वैसे ठीक से धार्मिक किताबों को पढ़ा जाए और सब धर्म के किताबों को एक जगह रख कर एक एक शब्द पर विचार किया जाए तो आवाज़ एक ही आती है के वही है ईश्वर वही है अल्लाह वही है गॉड जो सबका पालने वाला और चलने वाला है और वही सिर्फ अकेले ही वंदना और पूजा के काबिल है क्यूँ के ये तै है के एक गरोह का एक ही मालिक होता है हर पार्टी का एक ही मालिक और संचालक होता है अगर दो जाएँ तो सिस्टम बिगड़ जाता है वैसे ही पुरे दुनिया को चलाने वाला एक ही है और उसी कि पूजा उसी कि बंदगी हमारे धर्म इस्लाम में जाएज़ है .
अल्लाह ने सबका हक़ बाँट दिया है और सबके हक़ को पूरा करने का पाबंद बनाया है जो उसके दिए हुए हुक्म को मानता है वो उसका मानने वाला और उसकी प्रेम का हक़दार है और जो नहीं वो तो बिलकुल ही बेकार है उसी हक़ में जननी माँ और शरण देने और अपने गोद में सोलन वाली भारत कि सरज़मीन को भी माँ का ही दर्जा दिया है जिसे मादरे वतन कहते हैं जिस से प्यार और उसकी सुरक्छा और उसके आत्म सम्मान और उसकी सेवा हमारे लिए फ़र्ज़ है जिसकी हैम रक्छा करते हैं उसकी बंदगी नहीं करते बंदगी उसी कि होती है जो हमारी देख भाल और हमें ज़िंदा रखता है और जिसने हमारे लिए सारे जहाँ को सजाया है दुनिया कि तमाम अविष्कार और जिव जंतु कीड़े मकोड़े पहाड़ नदी नाला सब के सब उसी मालिक ने हमारे फायेदे और हमारी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बनाया है तो बंदगी का हक़दार वही है .
उमीद करता हूँ के अब बात समझ में आ गयी होगी और अभी भी नहीं समझे तो अपने वेद और उन किताबों और उन महा परुषों से पूछ लें जिन पर आपका धर्म चल रहा है और उसका ज्ञान देने कि ज़िम्मेदारी है हम किसी को बुरा नहीं कह सकते बस अपने विचार को रखते हैं और प्रकाश फैलाना जानते हैं जहाँ अँधेरा होगा दूर हो जाएगा अँधेरा है अँधेरा है ये सिर्फ चिल्लाने और नारा लगाने से अँधेरा दूर नहीं होगा धर्म के शब्द और वाणी को बोल देना सरल है मगर धर्म कि राह पर साबित रहना और उसका पालन करना बहुत मुश्किल है इसी लिए मेरा धर्म इस्लाम अगर आने का रास्ता बताता है तो अपने धर्म से बहार निकाल देने का वजह और कारण भी बता चूका है जो उन बातों का पालन नहीं करते उन आदर्शों को सही और दिल से नहीं मानते और साबित कर देते हैं के वो उस आदर्श से इंकार हैं या उस पर नहीं चलते तो इस्लाम फ़ौरन उन्हें अपने धर्म कि बंधन और क़ानून से अलग भी कर देता है और नाता भी तोड़ देता है उस में से एक आदर्श वतन से मोहब्बत और वतन कि हिफाज़त भी है आपने देखा होगा के रांची के मुसलमानो ने अपने आतंकवादी बेटे से रिश्ता तोड़ दिया और उसे अपने रीती रेवाज से दफनाने और उसका क्रिया कर्म करने से इंकार कर दिया अब भी आपको सबूत चाहिए के मुसलमान कौन हैं और क्या करते हैं देश के साथ और माँ के चरणो में सवर्ग होता है जो स्वर्ग और माँ को बनाया है वही वंदना और पूजा का हक़दार है .
नहीं तो आप मुझे बता दें के वंदे और माता में क्या रिश्ता है ये शब्द किन के लिए है . धन्यवाद .
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