Menu
blogid : 4773 postid : 645571

बा अदब बा नसीब बे अदब बे नसीब

Great India
Great India
  • 107 Posts
  • 253 Comments

आज हम जिस संसार में जी रहे हैं उस संसार में एक हमारा देश भारत भी है जिसका अपना अलग पहचान रहा है जिस देश ने अपने तहज़ीब और सभ्यता का सिक्का पुरे देशों में चलाया कल सभी हमारे देश को इज़ज़त और सम्मान कि निगाहों से देखते थे हमारे देश कि तारीफ पूरी दुनिया में हो रही थी और आज भी दूसरे देशों में इज़ज़त कि निगाहों से ही देखे जाते हैं कल हमारे पास हर एक का सम्मान था हर एक दूसरे का आदर करते थे मोहब्बत और एकता हमारी मिसाल थी वो इस वजह से के पुरे संसार में कोई ऐसा देश नहीं जिस देश में रहने वाले बसने वाले जन्म से हों या कहीं से आकर भारत को अपनाया या भारत का प्यार अदब तहज़ीब और एकता को देख कर भारत के वासी हो गए सिर्फ इस लिए के उन्हें सकून मिला सम्मान मिला प्यार मिला और ये सब इस लिए था के ये भारत वो भारत है जिसमे सूफी संत और बड़े बड़े बुद्धिमान लोगों ने इस देश को अपने परिश्रम और ईश्वर कि उपासना और उसकी चाहत से अपने दिलों को इस तरह रंग दिया था के ईश्वर भी उन महापरुषों के दिल से निकली हुयी दुआ और आरज़ू को पूरा करने में ज़रा भी देर नहीं करता क्यूँ के उन लोगों ने एक ही चीज़ को अपनाया था के मनुष्य से प्यार करो ये सब उसी ईश्वर के पुजारी हैं उसके बन्दे हैं इनसे प्रेम करो इनकी मदद करो इनकी हर उस दुःख को दूर करो जो तुम कर सकते हो .
आज अगर हम ढूंढने के लिए निकल जाएँ तो शायद हमारे पांव में छले पड़ जायेंगे रस्ते के खर्च ख़तम हो जायेंगे सारी उमीदें ख़तम हो जाएंगी कुछ बाक़ी नहीं रहेगा मगर एक भी वैसा ईश्वर का प्यारा साधू या संत या सूफी नहीं मिलेगा जो हक़ीक़त में हो हाँ मिलेंगे जो लूटने वाले होंगे हमें नोचने वाले होंगे हमें धोखा देने वाले होंगे हमारे विश्वास को तोड़ने और हमें गलत रास्ते पर चलाकर बर्बाद करने वाले होंगे इस लिए के हमने उनपर गलत विश्वास किया था उनके बहकावे में हम आगये थे हमें मालूम नहीं के उनकी पहचान क्या है उनका ज्ञान क्या है उनका रंग रूप कैसा होना चाहिए .
आज हमें सिर्फ फ़िक्र है दौलत कि चाहे जैसे भी हासिल हो हमें चाहत है ताक़त कि चाहे जैसे भी हो वो दौलत , इज़ज़त , शोहरत , ताक़त और ऊँचा घर सबको चाहिए अच्छी बात है मगर हमने कभी ये नहीं सोचा के जो खाना हम खाते हैं उस खाने में किसी और का हक़ तो नहीं है ये खाना किसी और के हिस्से का तो नहीं इस में किसी और भूखे का हक़ तो नहीं , जिस हवेली में हम रहते हैं उस हवेली के नीव में किसी का हक़ तो नहीं छुपा है किसी का दर्द इस नीव में तो नहीं कोई छिना हुआ या लुटा हुआ माल तो नहीं , जिस कुर्सी पर हम बैठे हैं उसके निचे कोई रोने वाला तो नहीं किसी के खून का ज़िम्मेदार तो नहीं किसी पर ज़ुल्म तो हम नहीं करते , जिस पर हम हकूमत करते हैं उनका अदब भी करते हैं या नहीं हकूमत सिर्फ शारीर तक ही है या उनके दिल पर भी जो दिल पर हकूमत करे वही असल हकूमत है , जिस शान से हम रहते हैं वो शान मोहब्बत एख़लाक़ और एकता कि है या हमारे ज़ुल्म कि दबाव कि या के हमारे झूठे रॉब कि , जो लोग हमें सलामी देते हैं वो दिल से या हमारे डर से डर कि सलामी सलामी नहीं श्राप होती है जो ज़बान से सलाम तो करती है मगर दिल से श्राप देती है इस लिए हम सलामी को समझें और हमें खूब पता होता है के कौन किस वजह से क्या कर रहा है , जो हमारी इज़ज़त करते हैं क्या हक़ीक़त में करते हैं या वो भी हमारे ज़ुल्म कि डर से करते हैं नारा लगाते हैं वो कही हम से मजबूर तो नहीं .
अगर इन तमाम बैटन का ख्याल हमें होने लगे सबकी फ़िक्र करने लगें हर उस इंसान का अदब ,सम्मान करें आदर करें जो हमसे बड़ा है नेक है क्यूँ के अदब और सम्मान इंसान को ईश्वर से मिला देता है अदब और सम्मान ईश्वर कि कृपा और आर्शीवाद से दूर कर देता है इस लिए के हमारा देश भारत साधू संतों सूफियों ईश्वर के लाडलों और उसके चाहितों का देश है यहाँ प्रेम कि गंगा बहती है तो एकता कि धारा लहरें मरती है मोहब्बत का सागर हमारे देश में है तो अनेक धर्मों का संगम हमारे इस पवन धरती पर फल फूल रही हैं पता नहीं किसके कारन हमारा देश में लाख दुखों का पहाड़ है फिर भी महान है जिनके पास अदब नहीं आदर नहीं सम्मान नहीं उनके साथ वो अच्छी तक़दीर नहीं वो कामयाबी नहीं .

हर एक कि खिदमत जो बजा लाओगे
तो खादिम से मखदूम हो जाओगे
नोट : खादिम = खिदमत करने वाला मखदूम = जिसकी खिदमत कि जाय

जो रहीम उत्तम प्रकीर्ति का करी सकत कुसंग
चन्दन विष व्यापत नहीं लपटे रहत भुजंग

माल मोरा खा जइहें पूत भाई मेहरी
मॉस मोरा खा जइहें माटा चिऊंटिया
ना कोई लिहें खबरिया चलन के बेरिया

अगर इनमे से कुछ भी हमारे हाथ लग जाय तो हम भी ईश्वर के लाडले हो जाएँ अपने घर देश गांव के दुलारे हो जाएँ अपने लोगों के लिए सहारे हो जाएँ .

Tags:   

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh