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नरेंद्र मोदी को क्या पसंद है कुर्सी या सुधार ?

Great India
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इस क़दर तेज़ चलना मुनासिब नहीं
जम न पाएं क़दम तो फिसल जायेंगे
आज तक आग से खेलते आये हम
क्या खबर थी के पानी से जल जायेंगे
किसी भी मंज़िल को पाने के लिए यक़ीन और हिम्मत ज़रूरी है और अगर मकसद राज पाट पाना हो तो जज़्बात कि कोई क़दर नहीं होती क्यूँ के जिसका मक़सद सिर्फ राजसिंहासन पर बैठना हो उसे कोई भी गलत गलत नहीं लगता जैसा के किसी ने कहा है के जंग और प्यार में सब कुछ जाएज़ होता है उसी तरह आज प्रधान मंत्री का पद भी किसी राजसिंहासन से कम नहीं जिस पर हर इंसान बैठना चाहता है मगर ये उसी को नसीब होता है जो पुरे देश के दिलों में बस्ता है सबके दिलों पर अपने प्यार अपने अच्छे एख़लाक़ से राज करता है .
आज ऐसा माहौल बन रहा है जैसे के चुनाव नहीं एक जंग कि तैयारी हो रही है हर तरफ से आरोप बयानबाजी और ऐसे शब्दो का पर्योग किया जा रहा है जिस से इंसानियत भी शर्मसार हो रही है आज ठीक वही हो रहा है जैसे हम किसी दूसरे घर कि बेटी को अपनी बहु बना कर लाते हैं अगर बहुत दौलत लेकर आती है तो उसकी इज़ज़त कि जाती है उसे सम्मान मिलता है फिर भी उसे हम बहु ही समझते हैं अपने घर का सदस्य नहीं उसे परायी ही जानते हैं अपनी बेटी अज़ीज़ होती है प्यारी होती है उसे बेटी ही कहते हैं उसकी हर गलती को आसानी से टाल जाते हैं बहु पर इस लिए ज़ोर आज़माते हैं के वो परायी घर कि होती है मगर वही बहु जब एक माँ बन जाती है दादी बन जाती है अब वो घर कि मालकिन बन जाती है उन तमाम शिकायतों को भूल जाती है और अब उसे अपना घर अपना परिवार अपने लोग समझने लगती है अब वो लोग नहीं रहते जो उसे बहु कहते थे अब उसे कोई दादी चची या नानी या भाभी कह कर पुकारते हैं जिनको क़बूल करना था क़बूल कर चुके उसे अपना चुके घर कि अब मालकिन या ज़िम्मेदार बन चुकी है चाहे वो बहु बगल के गांव से आयी होती है या बगल के राज्य से मगर थी एक दिन बहु आज है घर कि ज़िम्मेदार अब जब उसने साड़ी ज़िम्मेदारी ले लिया है अपने को अपने घर का ज़िम्मेदार मान लिया है तो अब वो बहु नहीं रही घर कि मोरिस घर कि मालकिन घर कि मुहाफ़िज़ बन गयी .
ठीक उसी तरह से आज जबके सोनिया गांधी अब देश कि वो वरिष्ट नागरिक बन चुकी हैं उनको देश के संविधान ने वो हक़ दे दिया है वो स्थान दे दिया है अब उन पर ताना कसना उन्हें बिदेशी कह कर सम्बोधित करना बार बार किसी का मज़ाक उड़ाना ये कौन सा बड़कपन है कौन सी सभ्यता है कौन सा म्हणता है बाबा रामदेव जो भाजपा के पुजारी हैं बिदेशी महिला कहते हैं किसी भाजपा वालों को आपत्ति नहीं नरेंद्र मोदी जी उस महान कुर्सी के दावेदारी में लगे हैं जहां बैठ कर हर भारतीय के दिल कि आवाज़ सुन्ना होगा हर उस भारतीय के वोटों के मुहताज हैं जो उन्हें मानता हो या नहीं मानता हो जो उनका आदर सम्मान करे उसकी भी सुन्नी होगी जो आदर सम्मान नहीं करे उसकी भी सुननी होगी आप उसी देश के एक वरिष्ट नागरिक राहुल गांधी को कहते हैं के पैसा वो अपने मामा के यहाँ से लाते हैं फिर वही ताना कशी आप मामा कहें या इटली बात तो बराबर ही है जब आप को यही कहना था तो आप कहते के अपने बाप के घर से लाते हैं तो बात भारत में ही रह जाती आपने मामा कहा यानि के आज भी आप राहुल को इटली से ही जोड़ रहे हैं यही है आपका बड़कपन यही है आपका प्यार यही है आपका विचार आपको सच्चाई से इतना ही प्यार है तो क्यूँ नहीं कहते है अपने दिल कि बात खोल कर के हम एक आर एस एस के मंसूबो को पूरा करना चाहते हैं आज पुरे भारत को ऐसा बदलना चाहते हैं जिसका खाब आप ज़माने से देखते आरहे हैं जैसे आपने गुजरात को बदला जिसकी तस्वीर और हक़ीक़त पूरा भारत जानता है ज़बान भाजपा कि दिल आर एस एस का जिसका मक़सद सभी जानते हैं आज माननीय आदरणीय अटल बिहारी जी से ज़यादह चालाक और शार्प दिमाग हुशियार आप हैं श्रीमान लाल कृष्ण अडवाणी आपसे कम दिमाग के हैं जो अब प्रधान मंत्री के काबिल नहीं राजनाथ सिघ से भी आप बड़े निकले यानि के सभी आज आपके शिष्य जैसे लगने लगे और आप अपनी ज़बान को जैसे चाहे इस्तेमाल करके यही मक़सद है के कुर्सी मिल जाए आपको पसंद क्या है कुर्सी या देश का सुधार या गरीबो का प्यार या उजड़ता हुआ मुसलमानो पिछड़ो दलितो और रोड और प्लेटफार्म पर सोने वालों या मासूमो का लुटा छिना हुआ अधिकार अगर आप भारत से प्यार करते तो ये देश आपको अपने पलकों पर बिठा कर उस कुर्सी पर खुद से प्यार से बैठा देता पहले खुद को पुरे देश के लोगों के दिलो में बैठ तो जाने देते कभी आपने सोचा है के आज जो कुछ भी देश या जनता या पार्टी का पैसा चुनाव प्रचार पर खर्च हो रहा है उस से देश के हर ज़िले में एक नरेंद्र मोदी अनाथ आश्रम बन सकता था नरेंद्र मोदी अस्प्ताल बन सकता था नरेंद्र मोदी गरीब विदयालय बन सकता था इस तरह आप पुरे देश के दिल में धड़क सकते थे पुरे देश के नागरिक के ज़बान पर आपके देश प्रेमी और देश हित में सेवा करने का प्रमाण मिलता फिर यक़ीनन आपको उस कुर्सी तक जाने से कोई रोक नहीं पाता .
मगर अफ़सोस सद अफ़सोस आप भी वही बन गए जो कल के नेता बने थे आप भी वही हैं जो दूसरे है कोंग्रेस के नेता हैं जदयू के नेता हैं बसपा के नेता हैं सपा और अन्य दलों के नेता है आप कैसे उनसे अलग हैं के आप पर जनता यक़ीन करे आपने देश के लिए क्या किया के आप पर भारत वासी भरोसा करे आज आप एक मुख्य मंत्री हैं तो १००० कि फ़ौज आपके साथ चलती है कल प्रधान मंत्री बनेंगे तो दस हज़ार फ़ौज के बिच आप चल सकते हैं आप किस से मिलेंगे कौन आपसे मिलेगा किस गरीब से आप मिल पाएंगे जिसके इतने बड़े घेरौंदे हों भला कौन तोड़ेगा ये घेरौंदा आपसे मिलने के लिए कौन ऐसी खूबी है के आप आज तक के नेताओं से बिलकुल अलग और खास हैं .
दूसरे नेता भी पैसों को पानी कि तरह बहा कर चुनाव कि तैयारी कर रहे हैं आप भी वही कर रहे हैं दूसरे आप पर आरोप लगते हैं आप भी लगते हैं दूसरे आपको अगर गली देते हैं तो आप भी उनको गली देते हैं दूसरे आपके घर से पैसा लाने कि बात कतरे हैं तो आप ममहर से लाने कि बात करते हैं ज़रा बता तो देते के कौन सी बात है जो उनमे है और आप में नहीं कौन सी खास बात है जो आप में है उनमे नहीं शायद वो एक ही बात है जो एक को दूसरे से अलग करती है आपके साथ शिव सेना ( शिव के नहीं ठाकरे के ) है आर एस एस है बजरंग दल है ये सब ताक़त आपके साथ है उनके साथ नहीं अरे भाई दिल मिलाते तो प्यार दिखाते एकता बनाते तो कश्मीर से कान्यकुमारी तक का सारा दिल आपके साथ ही होता मगर आप किसी एक के साथी हैं तो किसी अनेक के कुछ और आखिर ये क्यूँ .
मैं जनता हूँ के जब इंसान जज़्बात से खेलता है तो नाकाम होने पर बहुत ही दुःख होता है जैसे आज हमारे भाई जो जज़्बात से बाबा आसाराम से जुड़े रहे दिल व दिमाग और अक़ल का पर्योग नहीं किया आज हमारे देश कि सभ्यता और संत समाज और वो ग्यानी जो सही में ईश्वर के प्यारे हैं उनसे भी लोगों का विश्वास टूटता हुआ नज़र आ रहा है क्यूँ के ये था अंधविश्वास ये था जज़्बात ये था सुना सुनाया प्यार का खेल हक़ीक़त से किसी को वास्ता नहीं था किसी ने भी हक़ीक़त को जानने कि कोशिश नहीं कि .
मेरे दोस्तों मोहब्बत करो समर्थन दो जय जय कार करो मगर दिल व दिमाग को भी पहले कुछ करने दो मालिक ने दिल दिया प्यार के लिए जज़्बात के लिए अक़ल दिया सोचने के लिए समझने के लिए ज्ञान दिया सच और झूट का पता लगाने के लिए जब सब एक ही नतीजे पर पहुँच जाएँ तो अब ज़बान दिया इक़रार करने के लिए सबको बुलाने के लिए आओ आओ यही सच है यही सही है इसी में भलाई है इसी में जीत है इसी में कामयाबी है , जब हम सुनी सुनायी बातों पर विश्वास करते रहेंगे लोगों कि भीड़ को सच मानेंगे तो हमें सिर्फ और सिर्फ मुंह के खाने के और शर्मिंदगी या नाकामी के कुछ हासिल होने वाला नहीं .

नरेंद्र मोदी को क्या पसंद है कुर्सी या सुधार
हम चाहें तो आज भी कर सकते हैं विचार
पुरे देश का मामला है नहीं है ये आसान
हम हैं देश के सिपाही नहीं चाहेंगे कभी हार
जिसे चाहें दें जिसे चाहें न दें ये हक़ हमारा है
देश पर्व है महान पर्व है करें हम सही मताधिकार
धन्यवाद आप सबका अगर सुझाव पात्र कोई भी शब्द हो तो हमे ज़रूर ज्ञात कराएं .

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