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जागरण मंच का मक़सद क्या है

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जब भी एक नयी पार्टी बनती है या नया कानून या नयी कमिटी बनती है तो सबका एक ही मक़सद होता है के सुधार हो, परिवर्तन हो, समाज को बेहतर बनाया जा सके, लोगों को अन्धकार से निकाल कर रौशनी में लाना और बिगड़े हुए हालात को सही करना आज जबके लोग जागरूक हो रहे हैं तालीम पहले से ज़यादह मिल रही है हर तरह के नए नए तरीक़ों से लोगों तक बातें पहुँच रही हैं एक वो ज़माना था जबके सिर्फ रेडिओ ही सहारा था लोगों तक खबर पहुँचने का फिर समाचार पत्र फिर टेलिविशन फिर इंटरनेशनल डिश यानि के कल के बनिस्बत आज विचारों का ख़बरों का और दुनिया में होने वाले हादसों का खबर हमारे आँखों के सामने ऐसे हैं के पल पल कि जानकारियों से वंचित नहीं हैं फिर भी हम खुद को खाली और पिछड़ा हुआ ठगा हुआ और बेसहारे का एहसास कराते हैं आखिर क्यूँ नहीं होता विकास हमारे समाज का हमारे विचारों का वजह क्या है के हम जहाँ से सोचते हैं वहीँ के वहीँ रुके होते हैं हमारी गति बढ़ती नहीं .
आज नए नए उपकरण हमारे हाथों में हैं मोबाइल नेट कंप्यूटर हम इनका प्रयोग तो करते हैं मगर हमारी नियत शायद साफ़ नहीं होती इसका सही इस्तेमाल नहीं करते इसका इस्तेमाल सिमित रखते हैं हम आज इस जागरण मंच पर काफी संख्या में लोग जुड़े हुए हैं आज तक कितने लोगों ने क्या क्या लिखा है कितने लेख लिखे गए हैं कितने लोगों को अच्छे लेख पर सम्मान भी मिल चूका है मेरे ख्याल से जितनी भी बातें लिखी जा चुकी हैं उतनी बातें हमारे देश हमारे समाज हमारे घर और हमें बेहतर बनाने के लिए काफी हैं जागरण परिवार अगर सबके लेखो को एक जगह करके सबका संख्या बता दे तो शायद हम पढ़ नहीं पाएं आखिर इन सब लोगों का मक़सद क्या है लिखने का वजह क्या है ये हम जान जाएँ और इस पर विचार करें तो शायद जागरण परिवार को भी ख़ुशी होगी के हमारा उठाया हुआ क़दम ये ब्लॉग जिस पर काफी इंसान एक दूसरे से जुड़ कर अपनी बाते रखते हैं और एक दूसरे से कुछ सीखते और अपनी रफ़्तार को तेज़ करने में एक दूसरे का सहयोग करके जागरण परिवार को भी पुण्य कमाने का अवसर देते हैं जिसका सहारा एक दूसरे को जोड़ने का रास्ता जागरण परिवार का ये मंच हमारे लिए खुला मिला और हम एक दूसरे से जुड़ते गए .
अब सबसे पहले हमारी नियत का पता लगाना है के हम किस नियत से इस मंच पर आये हैं नियत के हिसाब से ही कार्य का फल मिलता है जैसे एक उदाहरण देना चाहूंगा के एक इंसान एक लकड़ी लेता है और उसे रास्ते के किनारे आधा ज़मीन में गाड़ देता है और आधा हिस्सा ज़मीन से ऊपर रखता है अगर उसकी नियत होती है के जो भी मुसाफिर किसी पालतू जानवर के साथ यहाँ से गुज़रेगा वो अपने जानवर को इस लकड़ी में बाँध कर कुछ देर आराम करके फिर अपना रास्ता पकड़ लेगा तो उसका पुण्य मिलेगा जिसने लकड़ी लगाया अगर उसकी नियत ये थी के जो भी आएगा तो इस से टकरा कर गिर जाएगा तो उसका उस आदमी को पाप होगा जिसने ये लकड़ी लगाया पता ये चला के काम एक ही है मगर नियत बदल गयी तो उसका बदला भी बदल गया .
मेरे कहने का मक़सद भी यही है के हम अपना समय इस मंच पर क्यूँ देते हैं क्या सिर्फ एक से बढ़ कर एक लेख लिखने के लिए मुक़ाबला जितने के लिए नाम कमाने के लिए या सिर्फ अपनी बात दूसरों तक पहुँचाने और दूसरों कि बातें पढ़ कर बाल कि खाल निकालने के लिए या ये साबित करने के लिए के हम सबसे ज़यादह ज्ञानी और जानकार हैं अगर ये सब मक़सद हमारा है तो ये सब समय नष्ट हो रहा है और हम सिर्फ एक अच्छे लेखक और जानकार बन कर ही रह जायेंगे हमारी तालीम और जानकारी अधूरी और बेमानी रह जायेगी हम उसी बावरी या नदी के तरह रह जायेंगे जिसके पास पानी तो है मगर कोई पिने वाला नहीं जो पानी बिलकुल ही बेअर्थ है हम जो कुछ भी लिखते या पढ़ते हैं अगर दूसरों कि अच्छी राय पर हम चलते नहीं जो किसी ने सच्चाई कि राह बतायी उस पर अमल करना नहीं चाहते तो वैसे ही हम चाहे जितनी भी बातें अच्छी से अच्छी लिख दें दूसरा उसे नहीं माने उस पर नहीं चले तो कोई फायेदा नहीं और ये उसी वक़्त मुमकिन है के हम अगर आज इस मंच पर ५०० लोग जुड़े हैं और पुरे ५०० आज प्रतिज्ञा करें के हम ५०० आज से एक बात पर एक हैं के कल से किसी कि भी चुगली नहीं करेंगे या झूठ का सहारा नहीं लेंगे तो मुमकिन है के हमारे ५०० लोगों के एक बात पर एक होने से कल १००० होंगे फिर १०००० होंगे एक समय आएगा के इस जागरण मंच से जुड़ने वाले ७० प्रतिशत लोग झूठ बोलना छोड़ सकते हैं तब कहीं हमारा मिशन पुरे भारत के देश वासियों तक पहुँच सकता है इस से जागरण परिवार को भी पुण्य कमाने का अवसर मिलेगा सबका भला होगा .
आखिर कब तक हम खुदगर्ज़ और मतलबी बने रहेंगे हम क्यूँ नहीं किसी का सहारा बनते क्यूँ नहीं उनकी मदद के लिए आगे आते जिनकी मदद हम कर सकते हैं माल से नहीं तो जान से मदद तो कर ही सकते हैं किसी के लिए बैसाखी बन सकते हैं किसी यतीम बच्चे के लिए अनाथ बेटी के लिए बाप का रोल तो अदा कर सकते हैं जथा शक्ति तथा भगती का माहौल तो बना सकते हैं अगर हम जागरण मंच वाले १००० लोग एक दिन या एक समय का १००० भूखों को खाना खिला सकें तो १००० लोगों कि एक वक़्त कि भूख मिट सकती है इस तरह जागरण मंच के मंच से हम प्यार एकता मानवता और अच्छे इंसान का मंच तैयार कर सकते हैं .
मेरे ख्याल से आज ये खुली आज़ादी और खुला हुआ पेज जो जागरण परिवार ने दिया है इस मंच का भी यही मक़सद होगा यही ख़ाहिश होगी यही इरादा होगा के समाज का सुधार हो देश का विकास हो लोगों में बेदारी आये लोगों में जागरूकता आये और लोग इस से एक दूसरे का शुद्धि करण करें और अपने विचारों को एक विकास के तरफ ले जाएँ .

आप सबकी राय और इरादे को जानना चाहूंगा और इस मिशन कि शुरुआत करना चाहूंगा आपसे यही उमीद है . धन्यवाद .

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