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बात औरत के सम्मान कि

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आज सभी लोग एक बहस में लगे हुए हैं के औरत कैसी हो औरत का स्थान क्या है औरत कमज़ोर , मजबूर , गुलाम , काम करने वाली मशीन न जाने क्या क्या कह कर लोग अपनी बहस को लम्बा कर रहे हैं और एक दूसरे कि खिंचाई में लगे हुए हैं सच तो ये है के हम आज औरत को समझने और उसकी हक़ीक़त जानने के बजाये उसकी गलत तारीफ करके उसे अपने लिए आज़ादी दिलाना चाहते हैं और बहुत सी ऐसी बातें हैं जिसको हम स्वीकार करते तो हैं मानते तो हैं पर दूसरों के लिए पसंद नहीं करते हैं और चाहते हैं के औरत का हर वो कारनामा जो हमारे घर में चल रहा है चलता रहे और हम सेफ रहें अपनी इज़ज़त को इज़ज़त समझते हैं दूसरों को फ्री और आज़ाद देखना चाहते हैं ताके अपना उल्लू सीधा होता रहे जैसे कुछ बातें रखना चाहूंगा ,

१. हर आदमी या मैं खुद ही अगर अपनी बीवी को बहन को किसी अनजान व्यक्ति से बात करते हुए दोस्ती के लिए हाथ बढ़ाते हुए देखें तो क्या होगा हम क्या सोचेंगे क्या करेंगे ?
2. हमारी पत्नी हमारे माँ बाप का सम्मान नहीं करे आदर नहीं करे तो क्या करेंगे क्या सोचेंगे ?
३. आज हम जब भी अपनी घर कि किसी औरत को दूसरे तरह के व्यवहार में देखते हैं तो क्या करते हैं .

औरत एक ऐसी नेमत है जिसे सम्मान और पूर्ण रूप से सजा धजा कर उसे इज़ज़त देने और उसके हर जाएज़ ज़रूरतों को समय से पूरा करने और उसकी हर तरह से हिफाज़त करना मनुष्य का धर्म और कर्तब्य है औरत का स्थान क्या है और इस्लाम धर्म में औरत को कौन सा दर्ज दिया गया है उसको कितने सम्मान के काबिल बनाया गया है अगर किसी को समझना है तो कुरान के एक पाठ जिसका नाम ही औरत है उसे पढ़े और समझे के औरत का स्थान और सम्मान क्या है .

आज के नए फैशन में अगर गरीब कि बेटी छोटा कपडा पहनती है तो उसे गरीब कहा जाता है और बिकसित घराने मॉडर्न घराने कि बेटी आधा मीटर कपडे से बदन के कुछ हिस्से को ढांक कर निकलती है तो उसे बड़े घर कि बेटी कहा जाता है उनके हौसले उनके इरादे बुलंद हैं मगर उनकी ताक़त पूरी औरत बन कर रहने और अपनी मान मर्यादा में रह कर इरादे और हिम्मत पर कायम रहने में है क्यूँ के उनके अंदर वो ताक़त नहीं के भेड़िये नुमा इंसान से अकेली अपनी हिफाज़त कर सकें उन्हें मुहतात रहना होगा वो एक महान और अनमोल रत्न हैं उनको अपनी हिफाज़त के लिए सबसे पहले अपने आपको परदे में रख कर दुनिया के हर कदम से कदम मिला कर आगे बढ़ना होगा अपनी इज़ज़त और अस्मत कि गुणवक्ता को खुद समझना होगा .

अपनी माँ बहनो के लिए एक कविता लिखना चाहता हूँ और उसे कविता नहीं एक एक शब्द को गहराई से पढ़ने और समझने के लिए अनुरोध करना चाहूंगा क्युंके पढ़ लेने से कोई भी महान नहीं होता अक़ल कि कसौटी और दिल के तख्ती पर लिखने और उसे समझने से इंसान महान हो जाता है .

कविता

गुलशने आलम में पाकीज़ा हवा परदे में है
फूल में बू है छुपी फल का मज़ा परदे में है ( बू = खुशबु )
बिजलियाँ पोशीदा रहती हैं हिजाबे अब्र में ( हिजाब = पर्दा ) ( अब्र = बादल )
रौशनी बाहर है दिल कि ज़या परदे में है ( ज़या = किरण , रौशनी )
फातमा परदे में थीं और आयशा परदे में हैं ( फातमा ,आयशा = नाम )
उनकी सीरत पर जो है औरत फेदा परदे में है (सीरत = चाल चलन )
माल व दौलत को छुपा रखते हैं चोरों से सभी
इस से ज़ाहिर है के हर शै कि बक़ा परदे में है ( बक़ा = बचने वाला )
पोस्त में है मगज़ पोशीदा तो रोगन मगज़ में ( पोस्त = गोश्त )
मगज़ क्या हर एक का क़ल्ब व जिगर परदे में है
खिजिर छुपते हैं अवामुन्नास से इलियास भी ( खिजिर = महान व्यक्ति का नाम )
हर सूफी मर्द मर्दे बा खुदा परदे में है ( बा खुदा = ईश्वर से प्रेम करने वाला )
क्यूँ न परदे को उठाना चाहें अइयाशे जहाँ
ऐश का उनका मज़ा भी किरकिरा परदे में है
खानदानी औरतें फिरती हैं जिनकी बेहिजाब ( बेहिजाब = बेपर्दा )
शर्म से कहते नहीं शर्म व हया परदे में है
फखर इमाम क्यूँ न हो पर्दानशीनों के लिए ( पर्दानशीं = पर्दा करने वाली )
परदगिये गैब यानि खुद खुदा परदे में है ( गैब = नहीं दिखने वाला )

हमारी बहने खुद को पुरे परदे में रख कर अपने हौसले को बुलंद भी कर सकती हैं मर्दों जैसा कारनामा भी दिखा सकती हैं क्युंके औरतो का सिंगार और सजावट अपने जैसे औरतों और अपने पति परमेश्वर के लिए ही होता है बुरी नज़र से बचने के लिए पर्दा ज़रूरी है पर्दा उसे नहीं कहते के घर में बंद करके रखा जाय नहीं बाहर निकले ज़माने का मुक़ाबला करे अपनी तक़दीर को अपने तदबीर से बदले मगर खुद को पूरी तरह पर्दा करके क्युंके औरत जब बे पर्दा निकलती है तो शैतान और भेड़ियों जैसे ऐयाशों और कुत्तों कि नज़र उनको घूरती और निशाना बनाने कि ताक़ में रहती हैं इस लिए हमारी बहनो को आज खुद कि हिफाज़त बहुत ज़रूरी है .

मुझे पता है के बहुत से लोगों को ये लेख और दिल कि बातें पसंद और समझ में नहीं आएँगी क्युंके वो भी इन बातो को मानते और जानते हैं मगर अपने घरों के लिए दूसरों के लिए नहीं और इंसान वही है जो अपने लिए पसंद करे वही दूसरों के लिए भी पसंद करे जो अपने भला के लिए जीना चाहता है वो दूसरों कि भला के लिए भी जीना पसंद करे ऐसे ही लोगों से ये दुनिया आबाद और हरा भरा है जिस दिन ये लोग बिलकुल नहीं रहेंगे वो दिन पर्लय और बर्बादी का दिन होगा कभी सुनामी के नाम से तो कभी पयलिन के नाम से और ये मिसाल मशहूर है के जव के साथ घुन भी पीस ही जाता है .

आज सबसे पहले नारी जगत कि हिफाज़त करना और उन्हें सही सम्मान के साथ दुनिया में कामयाब करना खुश रखना और उनके पवित्र मक़सद कि कामयाबी के लिए उनकी मदद करने से ज़ेयादह कोई भी बड़ा काम नहीं है और ये जब होगा तब हम दरिंदा शैतान के खाल को फ़ेंक कर एक इंसान बने और औरत के मान और मर्यादा कि हिफाज़त के लिए कसम खाएं और औरतें भी अपनी मॉडर्न रेवाज को छोड़ कर भारतीय सभ्यता को अपनाये फिर जो चाहें अपने मक़सद के लिए आगे बढ़ें .

( किसी भी ऐसे शब्द के लिए माफ़ी चाहूंगा जो अच्छा नहीं लगे ) धन्यवाद

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