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हम क्यूँ नहीं सोचते के हमारा फ़र्ज़ क्या है सिर्फ एक बार
हम क्यूँ नहीं करते तौबा अपने गुनाहों से सिर्फ एक बार
हम क्यूँ नहीं होते जुदा बुराईयों से दिल से सिर्फ एक बार
क्यूँ नहीं देखते अपने ज़िन्दगी को प्यार से सिर्फ एक बार
क्यूँ नहीं निभाते अपना वादा ज़िन्दगी से सिर्फ एक बार
क्यूँ नहीं आती हमें शर्म अपनी हैवानियत से सिर्फ एक बार
करते हैं किसी मासूम कि ज़िन्दगी तार तार सिर्फ एक बार
लूटना चाहते हैं क्यूँ देश कि दौलत बनके मंत्री सिर्फ एक बार
करते हैं वादे जनता से बार बार पर नहीं होता वफ़ा एक बार
समझ में क्यूँ नहीं आता हलाल हराम का फ़र्क़ सिर्फ एक बार
दुनिया के बाद भी है कुछ कर लेते चिंतन हम सिर्फ एक बार
ईश्वर स्वर्ग नर्क का हो जाता जो आज ज्ञान मुझे सिर्फ एक बार
पहचान जाते खुद को रोता नहीं कोई मज़लूम दिल से एक बार
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करते हैं बाते बड़ी हर जगह हर ख़ास व आम से
क्यूँ नहीं करते हैं प्यार भारत के सभी संतान से
ज़ात पात नीच उंच का रखते हैं हम सब भरम
क्यूँ नहीं सोचा कभी इंसान है एक दूसरे इंसान से
आज अगर मान लें गीता बाईबल कुरान को
कर नहीं सकता जुदा कोई भी इंसान को इंसान से
चाहता है दिल मेरा कर लूं आगरह आप सबसे बार बार
भाइयों हो जाओ एक मान लो मेरा कहा सिर्फ एक बार
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