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धर्म का संकल्प ही मनुष्य हित का संकल्प है

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इल्म चंदा के तू बेश्तर खानी
चूं अमल दर तू नेस्त नादानी
न महक़क़िक़ बुवद न दानिशमंद
मिसाले तू एक खर बरवै किताबे चंद . ( फ़ारसी है )
हिंदी :
इल्म तो जितना भी चाहे हासिल कर ले पढ़ ले
अगर अमल नहीं करता उस पर नहीं चलता तो तू नादाँ है
न तुम हक़ को जानने वाले हुए न अक़लमंद
तुम्हारा मिसाल ये है के एक गधे पर कुछ किताबे लदी हुई हैं .

आज हम भी ऐसे ही कुछ पढ़े लिखे बन बैठे हैं और मुजरिम पुलिस वकील जज सब खुद ही को मानते हैं हम किसी भी बिंदु को एक नज़रिये से ही देखते हैं सिक्के के दो रुख होते हैं ये हम सोच ही नहीं पाते एक ही चीज़ जिसका बहुत ही तरह से इस्तेमाल किया जाता है हर इस्तेमाल के अलग अलग अंजाम होते हैं किसी चीज़ का एक ही इस्तेमाल है किसी के बहुत सारी फायेदे और नुकसान हैं जैसे ,
कलम = को सत्य के लिए उठाया जाय तो आंदोलन आवाज़ एकता और समाज कल्याण कहलाता है जबके इसी मक़सद में किसी कि बर्बादी किसी को फांसी किसी को जेल किसी को दंड भी मिलता है इस कलम का वार दो धारी है किसी को ज़िन्दगी देता है तो किसी को मौत का फरमान .

सेवाती का एक बूंद
अगर गाय के पेट में पद जाए तो गाय लोचन बांस के कोंपल में पद जाय तो बंस लोचन अगर नदी के अंदर सीप में पद जाए तो मोती एक परिंदा जिसका नर जिसका पुलिंग नहीं होता पपीहा उसके मुंह में पद जाए तो वो एक पपीहा को जन्म देती है वही बूंद अगर इंसान के आँख में पड़ जाए तो मोतियाबिंद हो जाए .

और भी बहुत सी चीज़ें हैं जिसको देखा जाय और बहुत ही गौर से सोचें तो पता चलेगा के एक ही चीज़ फायेदा भी देता है और वही नुक्सान भी करता है फ़र्क़ सिर्फ प्रयोग के तरीक़े का है हमारे पास जो भी चीज़ें है अगर उनके प्रयोग का तरीक़ा सही है तो फायेदा गलत है तो नुकसान पता ये चलता है के सामान गलत नहीं कानून गलत नहीं तालीम गलत नहीं गलत या सही हमारा प्रयोग होता है गलत या सही हमारा उस्ताद या हमारी सोच होती है इस लिए के हमारी तालीम और सोच जैसा है वैसा ही हम करेंगे .

अब ईश्वर जो पुरे जग का ज़मीन से आसमान तक जितनी भी रचनाएं हैं जिसकी हम गिनती नहीं कर सकते हैं उन सबका एक ही मालिक और जन्म दाता है और वही ईश्वर पूरी दुनिया को सजा कर बना कर फिर एक मनुष्य ( आदम अ . स . ) को बनाया और ये कहा के दुनिया में जितनी भी चीज़ें मैं ने बनायीं हैं ये सब इंसान के लिए और उन चीज़ों से इंसान का फायेदा है और इंसान सबसे उच्य और बड़ा है जिसको इस्लाम धर्म में और अरबी में अशरफुल मख़लूक़ात ( जितनी भी चीज़ें ईश्वर ने बनायी उन में सबसे ऊँचा स्थान मनुष्य का है ) कहा गया अब मनुष्य कि संख्या बढ़ती गयी और बढ़नी ही थी जो अब भी बढ़ रही है तो अब मनुष्य को बनाया तो अपनी मर्ज़ी भी बता दी ताके मनुष्य अपने आप को और ईश्वर को याद रखे तो कुरान का शब्द है ( व मा ख़लक़तुल जिन्न वल इन्स इल्ला लेयाबोदून ) = जिन्नात और इंसान को अपनी इबादत के लिए पैदा किया .

अब किसी भी संस्था या समूह को चलाने और बनाये रखने के लिए नियमो कि ज़रुरत होती है जो समूह को भी सुरक्षित रखती है और जो मालिक होता है उसे भी पता होता है के कौन है जो मेरे कानून का पालन करता है और अपने मालिक को खुश रखता है जो अच्छे से अपने काम को करता है और मालिक का विश्वास हासिल कर लेता है तो वो उसके नज़दीक हो जाता है और एक नज़दीकी पद दे देता है जो अपने दूसरे लोगों कि समस्याएं उस खास इंसान से मोहब्बत और भरोसेमंद होने के वजह से हल कर देता है उनकी सिफारिशों को कबूल कर लेता है .क्यूँ के हर पसंद कि बुनियाद ना पसंद के साथ है कुछ पसंद कुछ नापसंद जुर्म के बदले सजा पुण्य के साथ पाप तो अब कानून बनाया और आदेश हुआ के दुनिया तुम्हारे लिए आख़ेरत ( स्वर्ग और नर्क ) कि खेती है जैसा बिज दुनिया में बो कर वापस आओगे उसी हिसाब से यहाँ जगह और बदला मिलेगा जबके सारी बिज और नियम एक इंसान के हाथों दूसरे इंसान कि हिफाज़त और भलाई के लिए ही बनाया उसमे उसकी सिर्फ इतनी ख़ाहिश हुयी के देखे कौन मेरे दूसरे बन्दों से प्रेम करता है और अपने से कमज़ोर गरीब मजबूर यतीम कि मदद और उनसे हमदर्दी करता है बेशक वही मुझे भी याद करेगा और मुझ से अपनी मदद मांगेगा जो मेरे आदर्शो और कानून को मज़बूती से पालन करेगा और वही मेरे बनाये हुए स्वर्ग का हक़दार होगा और उसे दुनिया में भी वो दर्जा मिलेगा जिस से दूसरे लोग भी प्रेम करेंगे और उसको सम्मान भी देंगे .

कुछ बातें जो सबके लिए हैं और यही इंसान का कर्म भी होना चाहिए .

सबसे पहले हलाल और जाएज़ रोज़ी जिस से अपनी और अपने बच्चों कि परवरिश करते हैं . जो चाहिए .
हरम रोज़ी जो अपने और अपने पवित्र घर के पवित्रता को अपवित्र कर दिल को भी मुर्दा करते हैं उस रोज़ी से दूर रहें .
जिस माल या रोटी में किसी कि आह या पुकार हो दर्द या कराह हो वो रोटी हमारे लिए अविशप है उस से दूर रहें .
जिस घर कि बुनियाद किसी हक़दार के खून पर बनी हो हक़ उस से दबा हो वो घर सकूं नहीं दे सकता .
जिसके हाथ से कोई मनुष्य सुख नहीं पाता जो अपना नहीं होता वो मनुष्य मनुष्य कहलाने के काबिल नहीं .
जब तक शराब से बुराई नहीं होती थी तब तक शराब हरम नहीं था जब बुराई होने लगी तो शराब हरम हुआ .
जब तक इंसान इंसान होता है उसका सम्मान होता है जब इंसान इंसान नहीं रहता तो वो शैतान कहलाता है .
हम एक ही माँ बाप के बेटे हैं पर आज ये भूल गए अपनी पहचान खो दिए एक दूसरे के लिए शत्रु हो गए .
जब तक दर्द था दवा दवा थी चाहे वैध जो भी हो दर्द गया दुश्मन हुआ चाहे मनुष्य जो भी हो .
जब तक एक थे तो हम थे आज मैं हुआ तो अकेला हूँ यही मैं और हम में फ़र्क़ है

दोस्तों ज़िन्दगी वही जो किसी के काम आये इंसान वही जो किसी के दर्द के लिए दवा बन जाए वो नेता नहीं जो हमें बहकाये वो मौलवी नहीं जो हमें नफरत का पाठ पढ़ाये वो पंडित नहीं जो हमें ज़ात पात से लड़ाए.
बस यही दुआ है के हमें सही धर्म का मानी समझ में आ जाए फिर जहाँ तक नज़र जाए सब जगह इंसानियत , हमदर्दी , प्रेम , हलाल , सम्मान , आदर , एकता , ईश्वर कि इबादत , देश से प्रेम , माँ बाप भाई बहन पड़ोस का सही हक़ , ईमानदारी , सत्य और पुण्य ही पुण्य सब धर्म ही धर्म नज़र आये .
जो मनुष्य का हमदर्द नहीं मददगार नहीं वो किसी भी धर्म का नहीं इंसानियत ही धर्म पालन का सबसे पहला बुनियाद है एकता और प्रेम एक अनोखा और अटूट और विशाल ताक़त है . सत्य मनुष्य का हथियार है प्रेम एक एकता का डोर है .
आओ मेरे दोस्तों हम अपने देश कि ताक़त को अपनी पहचान को और मज़बूत करें .

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