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बस यही इनाम चाहिए

Great India
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सोचता हूँ आज मुझे क्या इनाम चाहिए
इस बेदर्द ज़माना से मुझे प्रेम चाहिए
भटकता रहा दर बदर जिसकी तलाश में
कब मिलेगा वो जो मुझको चाहिए
कुर्सी मिली और शोहरत भी मिल गयी
सोचता हूँ क्या मुझे इज़ज़त भी चाहिए
लुटाता हूँ जिनकी दौलतें पानी कि तरह आज
सोचा है कभी उनको हमसे हिसाब भी चाहिए
दो आंसू के बदले मिल तो जाते हैं उनके वोट
क्यूँ भूल जाते हैं के कुछ उनको हम से भी चाहिए
देते नहीं सकून अमन चैन आज हम जिसे
क्या उनके पास हमे फिर जाना भी चाहिए
जानते हैं हम के जनता है बेवक़ूफ़
पता है कैसे किसको मनाना भी चाहिए
चोर हो तो गलगर ये जानते हैं सभी
ज़ात पात भेद भाव में उसे छुप जाना भी चाहिए
जो चिल्लाये कह कर चोर चोर वो खुद भी चोर है
मुमकिन है उसे बचने का बहाना भी चाहिए
करते रहे दगा जो दुनिया से उम्र भर
कहते हैं हमको भी आज इनाम चाहिए
लोग झूठ बोलते हैं के मैं इंसान नहीं हूँ
वोट चाहिए कुर्सी चाहिए ये ताज चाहिए
बहेगा न अब लहू किसी ख़ास आम का
मिलता रहेगा अब जिसे जो भी चाहिए
सुनता है आज कौन तेरा रोना यहाँ इमाम
करो कुछ भलाई अगर यही इनाम चाहिए
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