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आज का रेल बजट कैसा है इस पर ज़यादह कुछ कहने की ज़रुरत नहीं सिर्फ इतना ही सोचना काफी है के जिस महंगाई का सहारा बना कर सरकार बनाया गया आम जनता को अपने तरफ आकर्षित किया गया अगर खूब ठीक से सोचा जाए तो आज के हिसाब से पिछली सरकार ने कुछ भी महंगाई को बढ़ावा नहीं दिया जैसे के आज रेल मंत्री ने कहा के दस साल से किराया नहीं बढ़ने की वजह से रेल घाटा में चल रहा था इस से साबित हुआ के पिछली सरकार ने गरीबों के बहुत पैसे रेल किराया से बचाया और लालू ने रेल को फायदा भी दिखाया था अगर घाटा ही था तो पूरी दिल्ली को मेट्रो से कैसे सजाया गया बहुत सी नयी ट्रैन भी चलीं दिल्ली और बहुत से स्टेशनों को सजाया भी गया बहुत सी सहूलतें भी दी गयीं अब १४.२ % बढ़ा कर बहुत ही बोझ गरीबों के सर से हल्का करने का एहसान भी जताया जा रहा है बिहार के साथ कई राज्यों को कुछ भी ख़ास नहीं मिला लालू ने गरीब रथ दिया था वो भी शायद अच्छा काम नहीं था और घाटा में ही चलाया गया और भी बहुत सी चीज़ों को महंगा करने के बावजूद भी पिछली सरकार ही महंगी थी और आज की सरकार सस्ती और अच्छी है .
खैर जो भी हो अब तो कोई विपक्ष में भी नहीं है जितनी भी चीज़ें मंहगी हो या जो भी हो कोई बोलने वाला भी नहीं है उम्मीद है के आम गरीब जनता अब रेल को सपने में देखना पसंद करेगी या अपने ज़रूरी सफर को कम करेगी पिछली सरकार ने जितनी मंहगाई दस साल में नहीं बढ़ाई उतनी अब आते ही पहली सफर में ही बढ़ा दिया फिर भी हम खुश हैं .
तुम जफ़ा करो हम वफ़ा करेंगे : देश के खातिर हम ये सजा भी सहेंगे
और भी कुछ तोहफे हैं जो कल मिलेंगे जिस से देश को सजाया जाएगा या गरीबों के लहू से एक नया इतिहास लिखा जाएगा हम गरीबों को नयी ख़ुशी मिलेगी या एक और तूफान से लड़ने और कडुवे घोंट पिने को कहा जाएगा जो भी सब कुछ सहा जाएगा क्यूंकि वोट जो दिया है विश्वास जो किया है वफ़ा जो किया है जो भी दगा हो या सजा हो उसको निभाया जाएगा ये सब आपके एहसान कभी भी नहीं भुलाया जाएगा हम गरीबों के म्हणत और पैसों से देश को सजाया गया है और भी कुछ म्हणत से जमा किये हुए लहू को देश के खातिर बहाया जाएगा क्यूंकि अब तो किसी में हिम्मत नहीं के आपको कुर्सी से पांच साल तक उठाया जाएगा .
हमसे गिला है के हम वफादार नहीं : सच तो ये है के तुम भी दिलदार नहीं
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