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मंहगे नेता सस्ती जनता

Great India
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हम जनता हैं हमें सब नेता जानते हैं के हम सिर्फ वोट देना जानते हैं सबकी सभा में भीड़ लगाना जानते हैं जिसे भी सुने उसी पर यक़ीन कर के पुरे पांच साल तक नेता को ऐश करने और खुद को ठगा महसूस करना जानते हैं सबके बहकावे में आकर मंच की सजावट, बहुत सारे झंडे, ख़रीदे हुए नारे लगाने वाले भीड़, और तरह तरह की लोक लुभावन वाले भासड़ और चमक दमक वाले रैली से प्रभावित होकर अपने सही फैसले को भूल कर उनके चमक में ग़लत वोट देना भी जानते हैं खास कर हम गरीब और गांव के जनता तो इनके लिए एक भीड़ और दिखावे से ज़यादह कुछ नहीं हमें खूब सुहाने सपने दिखा कर वादों का पहाड़ दिखा कर दो रुपये की टोपी पहना कर भावनाओं से खिड़वाद कर के उत्तेजित कर के हमें अपनी रैली में दौड़ा कर हम से ही भीड़ लगा कर हमारे पैसों को हवा में उड़ा कर शानदार सिंघासन सजा कर हम ही को बेवक़ूफ़ बना कर हमारी ही बोली लगा कर हमारे ही ऐब बता कर पता ही नहीं चलता के हमारी झोंपड़ी का मज़ाक उड़ाते हैं या दिल ही दिल में खुश होते हैं के अगर ये झोंपड़ी नहीं होती तो मुद्दा नहीं मिलता ये सोचते हैं के जिस दिन झोंपड़ी नहीं रही उस दिन एक मुद्दा नहीं होगा अगर गरीब नहीं रहे तो दूसरा मुद्दा नहीं होगा अगर जाहिल नहीं रहे तो तीसरा मुद्दा नहीं होगा दर असल ये नेता हमारी हर मुश्किलें खत्म करना ही नहीं चाहते क्यूंकि फिर इनके पास मुद्दा ही नहीं रहेगा फिर इतने मंहगे सूट इतनी मंहगी गाड़ी ये राज ये ऐश ये गद्दी कहाँ से मिलेंगे इनका सिर्फ यही मतलब है आज का के दुनिया की जितनी दौलत खर्च करनी पड़े जो चाहे करनी पड़े जैसे भी हो सीट हासिल करनी है जनता अगर भूख से मरती है तो और मारो क्यूंकि ये भी एक मुद्दा है बलात्कार , भराष्ट्रचार , घूस , चोरी , मंहगाई , बिजली, पानी , नौकरी और पुलिस के अत्त्याचार की शिकायत करने के लिए दिल्ली के विधायक जी के पास हम जाते हैं तो पहला सवाल के आप किस जगह से आये हैं तो अगर हम उत्तर प्रदेश के हैं तो बोलेंगे अरे ये बात वहां के विधायक से कहिये हम क्या कर सकते हैं इसी तरह जब हम जनता को ज़रुरत पड़े तो सबका अलग अलग एरिया हो जाता है उस वक़्त सभी कानून और ताक़त का हद बताते हैं मगर जब वोट का समय हुआ तो कहते हैं के हम विदेश से नहीं आये सब एक ही हैं पूरा हिंदुस्तान एक एरिया में जमा होकर हम गरीब जनता को बेवक़ूफ़ बनाने के लिए एक जुट हो जाते हैं सब एक ही पार्टी के और एक ही टोली के कहलाते हैं पूरी ताक़त वोट के लिए लगा सकते हैं जब काम की बात आये तो अलग अलग एरिया बताते हैं कानून बताते हैं सरकार और संविधान की दुहाई देते हैं पांच साल तक जल्दी नज़र नहीं आते हैं इसी लिए हम बिना सर पैर के सिर्फ मतदाता कहलाते हैं और ये दिमाग के चतुर और चौपट जनता के हुशियार और मालदार मालिक या नेता कहलाते हैं .
आज चुनाव का समय है पूरी दिल्ली बरसाती मेढक की तरह हर तरह के हर ज़ात के सब एक हो कर आपसी भेद भाव भूल कर पूरी तरह दिल्ली को नेताओं की छावनी बना चुके हैं दाव पर दाव हमला पर हमला आरोप पर आरोप लग रहे हैं हर तरफ शिकायत और बुराई का शोर है हम जनता रेगिस्तान की रेट की तरह कभी इस तरफ की भीड़ में तो कभी उस तरफ की भीड़ में दौड़ रहे हैं कोई अस्तित्व नहीं हमसे ही लगायी हुयी भीड़ को अपनी कामयाबी का डंका बजा रहे हैं कल फिर गलियां सुनी हो जाएंगी गरीब रोड पर गिरा होगा कोई पूछने वाला नहीं होगा कोई बेटी मदद मदद चिल्ला रही होगी कोई बचाने वाला नहीं होगा कोई बीमार मरने के किनारे होगा कोई पूछने वाला नहीं होगा क्यूंकि रोज़ रोज़ अब चुनाव होने वाला नहीं . बरसाती मेढक की तरह रंग बिरंगे नेता बाल मूंछ दाढ़ी बढ़ा कर आये हाथ जोड़े मस्का लगाये चिल्लाये हमारे नाम पर वोट बटोरे और अपनी कुर्सी पर चले गए हम जनता अब पांच साल के लिए उल्लू फिर बन गए इस लिए के अपनी सोच समझ और अक़ल से भटक गए ये नहीं सोचा के दर्द उसी को होता है जिसके पास ज़ख़्म या चोट हो रोटी की इज़्ज़त भूखा करता है दौलत की क़दर गरीब बेटे और बेटी का बाप जनता है जिसके पास जो कभी कम ही नहीं हुआ वो उस चीज़ का दर्द क्या जाने जिसके पास बेटी बहु पत्नी ही नहीं वो किसी बेटी बहु पत्नी के बाप और पति और भाई के दर्द को क्या महसूस करेगा अगर है भी तो अमीरी के नशे ने इतना चूर कर दिया है के हर गरीब एक कीड़ा मकोड़ा ही नज़र आता है उसकी इज़्ज़त उसकी अस्मत कोई मानी ही नहीं रखता ऐसे हम गरीब जनता के भावनाओं को उजागर कर के खुद को महान साबित करके वोट जमा करते हैं ये मंहगे और अमीर नेता जिन आमिर नेताओं के ठाठ बाठ और कपडे इतने होते हैं के हम गिन नहीं पाते वही हम गरीब और सस्ते जान की जनता की कीमती वोट को बहुत ही आसानी से हासिल कर लेते हैं और हम पहचान नहीं पाते.

================= इंक़लाब ज़िंदाबाद ====== आम जनता ज़िंदाबाद ===देश हमारा भारत पायिन्दाबाद ====

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